Category: हिंदी कविता

  • आओ प्रिय कोई नवगीत गाएँ

    आओ प्रिय कोई नवगीत गाएँ

    आओ प्रिय कोई नवगीत गाएँ

    chandani raat
    HINDI KAVITA || हिंदी कविता


    चलो जीवन में कुछ परिवर्तन लाएँ
    कुछ अच्छा याद रखें कुछ बुरा भूल जाएँ
    आओ प्रिय मैं से हम हो जाएँ।

    यादों का पुलिंदा जीवन में
    जाने कब से सिसक रहा है
    आओ प्रिय कुछ गिले-शिकवे मिटाएँ।

    शिद्दत से चाहा था कभी हमें
    मुद्दत से वो दौर नहीं आया
    अनकही सी पहेली है जीवन
    आओ प्रिय कुछ सवालों को सुलझाएँ।

    क्या कभी क्षीण लम्हों को तुम जीवंत बना पाओगे?
    क्या कभी तुम मुझे समझ पाओगे?
    क्या कभी मुझे स्नेह दे पाओगे?
    मेरे मासूम सवालों को कभी सुलझाओगे?

    काश ! कितना सुंदर होता
    यदि तुम्हारा जवाब हां होता
    जीवन बगिया में बहारों का समां होता
    मौसम ने ये बेईमां होता
    दर्द का न कोई इंतहां होता।

    फिर से “मैं”  से हम हो जाते
    नवरस नवरंग में हम घुल जाते
    दफन एहसास समझा पाते।

    क्यों न एक नव परिवर्तन लाएँ
    मर्म मेरा समझो जिद अपनी छोड़ो
    आओ प्रिय हृदय तार जोड़ो
    झंकृत कर दे जीवन को जो
    वो बंधन न तोड़ो।

    फिर से इक मधुमास लाएँ
    कुछ अच्छा याद रखें कुछ बुरा भूल जाएँ
    आओ प्रिय मैं से हम हो जाएँ।

  • गीत अब कैसे लिखूं

    गीत अब कैसे लिखूं

    गीत अब कैसे लिखूं

    स्वप्न आंखों    में  मरे  हैं,
    पुहुप खुशियों के झरे  हैं,
    गीत  अब   कैसे   लिखूं।।


    सूखती सरिता नयन की,
    दिन फिरे चिंतन मनन की।
    अब  निभाता  कौन  रिश्ता,
    सात  जन्मों  के वचन की।।
    प्रिय जनों  के  साथ   छूटे,
    शेष   अपने    वही   रूठे।
    गीत  अब   कैसे    लिखूं।।

    हसरतों   के     झरे   पत्ते,
    वृक्ष  से   उघरे  हुए   हम।
    कर तिरोहित पुण्य पथ को,
    धूल  से  बिखरे  हुए  हम।।
    अनकही  सी  भावना  पर,
    मौन  मन  की कामना  पर।
    गीत   अब   कैसे    लिखूं।।


    देह गलती जा  रही  है,
    उम्र    ढलती  जा  रही  है।
    जिंदगी   से    जूझने    की,
    साध   पलती  जा  रही  है।।
    हो   चला   विश्वास    बंदी,
    प्रेम   में   हो   रही     मंदी।
    गीत   अब   कैसे     लिखूं।।


    हादसों  के  ढेर  पर    अब,
    काल के  इस फेर पर अब।
    छद्म  वाले   आचरण    के,
    हैं  धुले  से   संस्मरण   पर।
    मुफलिसी   के हाल  पर  मैं,
    सितमगर  के  जाल  पर  मैं।
    गीत  अब      कैसे  लिखूं।।


    संतोषी महंत “श्रद्धा”
    कोरबा(छ.ग.)

  • श्याम चौपाई-पुष्पा शर्मा “कुसुम”

    श्याम चौपाई-पुष्पा शर्मा “कुसुम”

    श्याम चौपाई

    श्याम भक्ति मीरा मन भाई।
    दीन्हे सकल काज बिसराई ।।
    करहि भजन सेवा अरु पूजा।
    एक देव और नहीं दूजा।।


    नाचहि गावहि धरियहि  ध्याना ।
    प्रेम सहित गिरधर पति माना ।।
    सतत करहि सन्तन सन्माना।
    रचना कर गावहि पद नाना ।

    राणा का जब कहा न माना
    कुपित भये दीन्हे दुख नाना ।।
    चरणामृत कह विष भिजवाया ।
    पीवत मुदित परम सुख पावा ।।

    पुष्पा शर्मा “कुसुम”

  • सुप्रभात वंदन -नमन वंदन वीणावादनी

    सुप्रभात वंदन -नमन वंदन वीणावादनी

    सुप्रभात वंदन -नमन वंदन वीणावादनी

    नमन वंदन वीणावादनी,
                    सुर नर मुनि जन पूजे ज्ञानी।
    वाणी में विराजती माता,
                     माँ  शारदे  बड़ी  वरदानी।।
    राह सच जो चलता हमेशा,
                     ज्ञान मातु नित नित वह पाया।
    मिले नित साहस लेखनी को,
                     मातु शरण मैं तेरे आया।।
                          …….भुवन बिष्ट

  • तू कदम बढाकर देख

    तू कदम बढाकर देख

    •तू कदम बढाकर देख•

    मंजिल बुला रही है
    तू कदम बढाकर  देख
    खुशियाँ गुनगुना रही है
    तू गीत गाकर देख

    काँटे ही नहीं पथ में,
    फूल भी तुम्हें मिलेंगे
    पतझड़ का गम ना करना,
    गुलशन भी तो खिलेंगे

    बहारें बुला रहीं है,
    कोंपल लगाकर देख

    पीसती है जब वसुंधरा
    तभी दामन होता है हरा
    तप-तप कर अग्नि में ही
    कुंदन होता है खरा

    जिन्दगी मुस्कुरा रही है
    तू सर उठाकर देख

    कदम -कदम चलके ही
    मंजिल है पास आती
    चलकर काँटों से ही
    खुशियाँ गले लगाती

    राह जगमगा रही है
    तू शमां जलाकर देख

    मन की बात क्या है
    अंधेरी रात क्या है
    विश्वास ही जिंदगी है
    थकने की बात क्या है

    विजया बुला रही है
    तू आस लगाकर देख

    सुधा शर्मा
    राजिम छत्तीसगढ़