चेतना आधारित कविता
चेतना आधारित कविता वह चेतन निर्द्वन्द है अद्भुत निर्विकार हैसारे विकार मनजनित कल्पित संस्कार है ।आत्म सत्ता है सर्वोपरि बोधक है सदगुरु ,भ्रम भेद भय भटकाता अतुल भवभार है ।जो है अजर जो है अमर सर्वदा त्रयकाल है ,इस जीव जगत का सर्वत्र मात्र एक दातार है।संयोग वियोग दुख सुख से है परे प्राणधन ,जग … Read more