छेरछेरा त्योहार पर कविता
छेरछेरा त्योहार पूस मास की पूर्णिमा, अन्न भरे घर द्वार।जश्न मनाता आ गया, छेरछेरा त्योहार।।अन्न दान का पर्व है, संस्कृति की पहचान।मालिक या मजदूर हो, इस दिन एक समान।। घर-घर जातें हैं सभी, गाते मंगल गान।मुट्ठी भर-भर लोग भी, करते हैं सब दान।।भेष बदल कैलाश-पति, गये उमा के द्वार।अन्नदान से फिर मिला, इक दूजे को … Read more