रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे
रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगे रफ़्ता-रफ़्ता मेरे पास आने लगेहर कहीं हम यहाँ गुनगुनाने लगेप्यार की अधखुली खिड़कियों की डगरएक दूजे में हम सामने लगे.इस जनम के ये बन्धन गहराने लगेदूर रहकर भी वो मुस्कुराने लगेग़म यहाँ कम मिलेगा हमारे सिवादर्द की छाँव भी अब सुहाने लगे.रिश्तों की कसौटी पे आने लगेवो हमें हम उन्हें … Read more