Category: हिंदी कविता

  • आया है मधुमास- कुण्डलियाँ

    आया है मधुमास

    *भँवरे गुंजन कर रहे, आया है मधुमास।*
    *उपवन की शोभा बनें, टेसू और पलाश।*
    *टेसू और पलाश, संग में चंपा बेला।*
    *गेंदा और गुलाब, सजा रंगों का मेला।*
    *फुलवारी अरु बाग, बसंती रँग में सँवरे।*
    *पी कर नव मकरंद, गुँजाते बगिया भँवरे।।1*

    *पी कर जब मकरंद को, भ्रमर बैठते फूल।*
    *वह पराग को  छोड़ते, मौसम के अनुकूल।*
    *मौसम के अनुकूल, खिलाते पुष्प रँगीले।*
    *भाँति-भाँति के फूल, सजाते बाग सजीले।*
    *बढ़ता मन अनुराग, खुशी मिलती है जी कर।*
    *मन से हटा विषाद, छटा नैनों से पी कर।।2*

    *प्रवीण त्रिपाठी, नई दिल्ली, 07 फरवरी 2019*

  • भँवरा

    भँवरा

    मधु का अभिलाषी भँवरा
    करे मधुऋतु का इंतजार
    भर गई नव मुकुल गागरी
    चहुँ ओर चली है मंद बयार।
    पुष्प-पुष्प पर भ्रमर मंडराए
    गीत नव मिलन गुनगुनाए
    मकरंद भरी मंजरी हृदय पर
    चिरंतन सुख मधुप को भाए।
    यौवन छा गया कुसुमों पर
    महकी कोंपल पुष्पों की डाली
    रसपान करे  मदमत्त हो भंवरा
    कोकिल हो उठी है मतवाली।
    चिरप्रतीक्षित मकरंद पिपासा
    तृप्त भ्रमर नवजीवन पाया
    मधुरस के असीम आनंद ने
    भंवरे को मदमत्त बनाया।
    मधुर मिलन भंवरे का फूल से
    आलिंगन पाश तन हरसाया
    प्रेमासिक़्त हो भंवरे ने फिर
    मंजरी का यौवन महकाया।
    बिछोह न हो भंवरे का फूल से
    गीत मिलन के गाता है
    समय सदा इक सा नहीं रहता
    मधुऋतु में मधुप गुनगुनाता है।
    कुसुम
    कुसुम लता पुंडोरा
    नई दिल्ली
    9968002629
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  • मेरी सोच

       मेरी सोच

    तुम्हारी सोच से अलग
    मेरी सोच
    तुम्हारे विचारों से जुदा
    मेरी भावनाएँ
    तुम्हारे रक्त से भिन्न
    मेरे खून का रंग
    और ….
    तुम्हारे चेहरे के विपरित
    मेरी परछाई का कद
    इस विश्व के उस पार भी
    कोई दुनिया बसती है
    इस ब्रह्माण्ड से दूर
    बहुत दूर ….
    जहाँ कोई मसीहा रहता है
    और जहाँ ….
    अनाज और रोटियों का
    भंडारा सा लगा रहता है
    कल-कल निर्मल जल का
    एक दरिया सा बहता है
    न कोई भूखा सोता है
    न कोई प्यासा मरता है
    सचमुच!
    मेरी सोच के दायरे में
    तुम्हारा बनावटी संसार
    कितना छोटा सा लगता है  ।


    रचनाकार ~


    प्रकाश गुप्ता ”हमसफ़र”


    युवा कवि एवं साहित्यकार
         (स्वतंत्र लेखन)
    विनोबा नगर वार्ड नम्बर – 24
    रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
    पिन नम्बर – 496001
    मोबाईल नम्बर – 7747919129
    E-mail – [email protected]


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  • बेटियाँ

    बेटियाँ

    बेटी बचाओ (महिला जागृति)

    बेटियां प्रकृति की देन है,
    बेटियां देवदूत,देव कन्याएँ है,
    कोमल इनकी भावनाएँ है,
    बेटियां अप्सराएँ है,
    लक्ष्मी, सरस्वती, सावित्री  है।
    बेटियां अन्नपूर्णा सी उपमाएँ
    बेटियां वेदों सी पवित्र है,
    बेटियां संस्कारो की धरोहर है,
    बेटियां नव निर्माण की कल्पनाएँ ,
    बेटियां  ईश्रवर का लेख है।
    बेटियां खिलती कलियां है,
    बेटियां संस्कृति की परिचारक है,
    बेटियां संस्कारो की धरोहर है,
    बेटियां ज्ञान की सहस्त्र धाराएं है,
    बेटियां नव निर्माण की कल्पनाएँ ,
    बेटियां धरती सी सहनशील होती है,
    बेटियां माता पिता का हृदय होती है,
    बेटियां अंतरिक्ष को छू रही है,
    बेटियां मां बाप के सपनो को पूरा कर रही है,
    बेटियां विधि का विधान व भाग्यवान होती है ।।
    ✍कालिका प्रसाद सेमवाल
         मानस सदन अपर बाजार
         रूद्रप्रयाग(उत्तराखंड)
           मोबाइल नंबर
      ‌‌9410782566
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  • समय पर कविता -डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा

    समय पर कविता

    तेरे पाँवों की जंजीरों को,
    पाजेब बना दूँ !
    हथकड़ियाँ तोड़ हथेलियों में,
    मेहंदी रचा दूँ !
    नाजुक कलाइयों में रंगीन,
    चूड़ियाँ खनका दूँ!
    माथे की शिकन पर,
    झिलमिल बिंदिया सजा दूँ !

    हे कर्मशील स्त्री आ तुझे,
    वनिता बना दूँ!
    न घबरा,भयभीत न हो,
    न भूल अपनी शक्ति को,
    न खामोशी से सहती रह,
    जोर जबरदस्ती को! आ चल साथ मेरे,
    तुझसे तेरी पहचान करा दूँ!
    बदल कर भाग्य रेखाओं को,
    मुक्ति का ताज पहना दूँ!

    न देख कौतूहल से,
    न संशय भरी दृष्टि से,
    तुझे अपना परिचय बता दूँ!
    मैं समय हूँ समय,
    कब किसे, किस ओर घुमा दूँ! तू चल साथ मेरे,
    तुझसे तेरी पहचान करा दूँ….

    -डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’,अम्बिकापुर, सरगुजा(छ. ग.)