इश्क ऐ वतन
इश्क ओ उल्फत कुछ हमें भी है इस वतन से।
कुछ कर गुजेरेंगे, इक रोज़ हम भी तन मन से।
गुलशन अपने वतन का जार जार न होने देंगे।
इसकी किसी भी कली को बेजार न होने देंगे।
अमर शहीदों की अमानत को संभाल कर रखेंगे।
प्यारे वतन को हर मुश्किल से निकाल कर रखेंगे।
नाम हो रोशन, और ऊंची हो इस देश की हस्ती।
कुछ इस तरह से करनी है, हमें तो वतनपरस्ती।
ये देशभक्ति और इमान ही सबसे बड़ा गहना है।
इसकी कीमत को नहीं इतनी भी सस्ती करना है।
खरीद कर ले जाए, हर कोई बड़ी आसानी से।
कह दो ये बात दुनिया भर के हर हिंदुस्तानी से।
ये कलम लिख रही इसका एक आगाज़ नया।
फिर से आएगा इक रोज़, यहां इंकलाब नया।
साहिब, आज फिर मुझे इस बात का गुमान है।
कि मेरी ये जो जन्म भूमि है, वो ये हिंदुस्तान है।
सुशी सक्सेना इंदौर मध्यप्रदेश
Category: हिंदी देशभक्ति कविता
देश भक्ति गीत – सुशी सक्सेना
पद्ममुख पंडा महापल्ली के 10 हिंदी कवितायेँ
महर्षि वेद व्यासजी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को ही हुआ था, इसलिए भारत के सब लोग इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। जैसे ज्ञान सागर के रचयिता व्यास जी जैसे विद्वान् और ज्ञानी कहाँ मिलते हैं। व्यास जी ने उस युग में इन पवित्र वेदों की रचना की जब शिक्षा के नाम पर देश शून्य ही था। गुरु के रूप में उन्होंने संसार को जो ज्ञान दिया वह दिव्य है। उन्होंने ही वेदों का ‘ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद’ के रूप में विधिवत् वर्गीकरण किया। ये वेद हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर हैं
यहाँ पर पद्ममुख पंडा महापल्ली के 10 हिंदी कवितायेँ दिये जा रहे हैं जो आपको बेहद पसंद आएगी.
सच कहना-पद्ममुख पंडा स्वार्थी
सच कहना
अपराध नहीं है
फिर भी लोग
कहते डरते हैं
यूं रोज मरते हैंसच कहना
बहुत जरूरी है
देश हित में
अपना स्वार्थ त्याग
त्याग विद्वेष रागसच कहना
सबका कर्त्तव्य है
संसार टिका
सच्चाई के कारण
दुखों का निवारणसच कहना
लाभदायक होता
समाज हेतु
विसंगतियां खत्म
जागता वही सोतासच कहना
बहादुरों का काम
झूठ बोलने
असत्य का साथ दे
हो जाते बदनामपद्म मुख पंडा स्वार्थी
गुरूदेव के सान्निध्य में
मासूम ही था, पांच वर्ष के वय का,
उत्सुकता थी, दृढ़ निश्चय का,
बताते हैं लोग, एक मूढ़ बालक था,
जो सोचता था, अपनी धून का पक्का!
लड़ता था, झगड़ता था,
अपनी ही बात कहता, अकड़ता था,
माता पिता दोनों ने मुझे स्नेह से पाला,
फिर भेज दिया था, मुझे पाठ शाला!गुरूदेव के सान्निध्य में
मिला था जो अक्षर ज्ञान
उन अक्षरों में, देखा था नया विहान!
अंक की गणना, सुन्दर वर्ण माला,
रट रट कर सब कंठस्थ कर डाला।गुरू जो होता है, पथ प्रदर्शक,
शिष्य को शिक्षित और दीक्षित कर,
जीवन मंत्र फूंक कर बनाता व्यापक,
वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ, पढ़ाने वाला,
जीवन के तम को हर कर, भर देता उजाला!#पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली
आत्म ज्ञान
निरंकुश मन पर अंकुश लगाकर
सुप्त संवेदना में चेतना जगाकर
त्यागकर मन से सकल अभिमान
मिलता है तभी किसी को आत्म ज्ञाननिर्भय अविचल स्थितप्रज्ञ होकर
सुख और दुःख की माला पिरोकर
निज के गले में डाल अहम खोकर
स्वार्थ क्रोध वासना को मार कर ठोकरउदात्तचित्त निर्मल विचार से भरे
मोह माया वासना से नितान्त परे
विश्व कल्याण की कामना करते हुए
परोपकार निरत सबकी पीड़ा हरेजो करे समाज हित समय दान
जो खोजे सब समस्याओं का समाधान
जो अथक परिश्रम कर बचाए जान
जो सके हर मर्ज को सही पहचानपद्म मुख पंडा
महा पल्लीवक्त की बात वक्त पर हो जाए
कौन जाने यह वक़्त फिर आए न आए
वक्त की नजाकत समझ लेना है जरूरी
वक्त बड़ा बेरहम है न जाने अपने पराए समय है बड़ा कीमती मोल कौन चुकाए
अगर हुई चूक तो भरपाई भी हो न पाए
दफ्तर देर पहुंचे तो अफसर आंखें दिखाए
घर न आ सके तो श्रीमती जी मुंह फुलाए वक्त कभी ठहरता नहीं बस चलता ही जाए
वक्त के साथ जो चले वही सफलता पाए
वक्त पर काम हो तो वाकई मज़ा आ जाए
नियत समय पर ही वेतन भी जमा हो जाए दवा समय पर लो तो रोग भी दूर हो जाए
वक्त बेशकीमती है सबको राहत पहुंचाए
वक्त की आवाज़ सुनो कहीं देर न हो जाए
वक्त की इज्ज़त करो कि यही हमें बचाएपद्म मुख पंडा
महा पल्लीअंततोगत्वा
ऐसी है विवशता
सिर्फ मुझे है पता
और कोई भी नहीं जानता
क्या है मेरे मन में
कौन सी व्यथा
बचपन से लेकर
बुढ़ापे की उम्र तक
पल पल सालती रही है
ढेरों हैं अनुत्तरित प्रश्न
जिसके जवाब में
सिर्फ टालती रही है
मेरी व्यग्रता उफान पर है
सत्य की खोज करने में
समाज का डर है
मेरी यह विवशता
तोड़कर सारे बन्धन
एक इतिहास रचना चाहती है
जो कलंक लग चुका है
मेरे स्वर्गीय पूर्वजों को
उससे बचना चाहती है
एक झूठ को सच साबित करने
लिख दिए कितने पुराण
धर्म शास्त्र की उपाधि देकर
चलाया कर्मकाण्ड अभियान
अपनी ही दुनिया में
अपने ही लोगों पर
तनिक भी दया नहीं आई
खोद डाली ऐसी अंधविश्वास की खाई
जहां सिर्फ विघटन ही संभव है
अज्ञानता का यह जहर
भर दिया पूरे समाज पर
दे दी कुंठा की लाईलाज बीमारी
जो पीढ़ी दर पीढ़ी है अब तक जारी
कहां गई मानवता
किसी को नहीं इसका पता
पूजा पाठ कर्म कांड
बन गए कमाई का जरिया
नर्क का भय
स्वर्ग का लोभ
कर्मकांडियों ने देश व समाज को
अंध विश्वास का क्या खूब तोहफा दिया!!
इस झूठ का पर्दाफाश होना चाहिए
अंततोगत्वा हमें हमेशा ही
सत्य का साथ देना
न्याय का पक्ष लेना
मन में अटल विश्वास होना चाहिए!*पद्म मुख पंडा स्वार्थी*
*महापल्ली*बागी मन
न तो किसी स्वार्थवश
न ही किसी भय के कारण
मैं बागी हो गया हूं
मेरा मन बागी हो गया है!!
देख रहा हूं कि मेरे आसपास
बूढ़ा प्रजातंत्र घूम रहा है उदास
गुंडों के खौफ से
चुप्पी साधे जमीन पर लोट रहा है
त्यागकर जीवन की आस
अरमानों का गला घोंट रहा है
खून का कतरा कतरा बहाकर
मिली हुई जनता की आज़ादी
फिर से काले अंग्रेजों की
भेंट चढ़ गई है
सियासतदानों के पौ बारह हैं
रियासत की ही मुश्किलें बढ़ गई हैंमुझे राम राज्य का नहीं पता
मुझे तो सिर्फ इतना ही ज्ञात है
कि जनता से बढ़कर कोई नहीं है
जनता दुखी है ये तो बुरी बात है
राजतंत्र के पूरे हो चुके हैं दिन
कभी लौटने वाले नहीं हैं
अब तो जनता ही फैसला लेगी
शिक्षा स्वास्थ्य सड़क बिजली
पानी की व्यवस्था किस तरह से होगी?नहीं है अभाव कोई मेरे देश में
शस्य श्यामला इस धरती पर
प्रकृति दत्त प्रचुर संसाधन हैं
किसान कर्मठ श्रमवीर हैं
फिर कैसा है यह माहौल व डर?
अपने किरदार को निभाने के लिए
हर किसान/मजदूर को
सामने आना होगा
पूंजीपतियों और दबंगों को
अपना बर्चस्व दिखाना होगा यह धरती किसी एक की बपौती नहीं
इस पर सबका समान अधिकार है
है यह सबकी माता
इस मिट्टी से हर किसी को प्यार है
कुछ करूं मैं भी अपने देश की खातिर
ऐसी तमन्ना अब दिल में जागी है
छोड़ो अब अन्याय और भेदभाव
ऐ मेरे वतन के रहनुमाओं
मैं भी बागी हो गया हूं
ये दिल भी मेरा बागी है!! पद्म मुख पंडा स्वार्थीआदमी अक्सर बिखर जाता है
भावनाओं से जुड़ी हर बात
जीवन में हर मोड़ पर
जब करने लगे आघात
यंत्रणा झेलकर पाने को निजात
आदमी अक्सर बिखर जाता हैरक्त सम्बन्ध
लगने लगते हैं फीके
बदल जाते हैं
सम्बन्धों के तौर तरीके
स्वार्थ साधन के लिए
भावनाओं का सम्मान ठहर जाता हैसमाज बिरादरी के साथ
सामंजस्य बिठाने के लिए
स्वीकारना हर कोई बात
अविवेकपूर्ण हो तब भी
छाती पर रख कर पत्थर
जीते जी ही आदमी मर जाता हैपद्म मुख पंडा**स्वार्थी**
गंतव्य
मैं नितान्त अनभिज्ञ हूं
कि कहां है मेरा गंतव्य
एक पथिक हूं
चलना सीख रहा हूं
नहीं जानता
क्या है मेरा भविष्य
अनजान पथ पर
चल पड़ा हूं
है लक्ष्य बड़ा ही भव्य! हूं कृत संकल्पित
सांसारिक दुखों से
अति व्यथित
लोभ मोह वासना से
कदाचित आकर्षित
मेरा मंतव्य
आच्छादित है
दृश्य पटल पर
पर है जो दृष्टव्य फर्क नहीं पड़ता
कौन क्या कहता है
मेरा चित्त हमेशा
खुद के साथ रहता है
प्रकृति ने मुझे दी है
सोच विचार करने की शक्ति
मस्त रहता हूं
निभाते हुए निज कर्त्तव्य।पद्म मुख पंडा
ग्राम महा पल्लीमेरा दायित्व
सोचता हूं
देश और समाज के लिए
बिना किसी विवाद के
अपना कर्त्तव्य निभाऊं
जिसका खाया और पिया है
उसका ऋण चुकाऊं
पर पग पग पर
बाधाओं की बनी हुई है श्रृंखला
अपनों के बीच ही
छल कपट का जोर चला
मेरे बिंदास अंदाज की
बखिया उधेड़ते लोग
मेरी देशभक्ति का मज़ाक उड़ाते हैं
मैं सहम कर रह जाता हूं
क्या है मेरा दायित्व
मेरे देश के लिए
समाज के लिए
धर्म और जाति के आधार पर
बिखरे हुए लोग
जिनके मन में
रोप दी गई है कटुता बैर वैमनस्यता
जिन्हें न भूतकाल की जानकारी है
न ही आगत भविष्य का पता
केवल सत्ता सुख के लिए
भड़काया जा रहा है
आपस में लड़ने के लिए
इतिहास को तोड़ मरोडकर
देश के साथ गद्दारी कर
ये अवांछित तत्व
क्या गढ़ना चाहते हैं?
बिना कुछ किए
चीन अमरीका जापान से
आगे बढ़ना चाहते हैं?
मैं जन्मजात श्रेष्ठता के विरूद्ध हूं
मैं मानव धर्म का हिमायती हूं
मैं कहां गलत हूं?
अपने किरदार को लेकर गम्भीर हो
अपना दायित्व निभाना
क्या अच्छी बात नहीं है?
एक नए युग में प्रवेश करने के लिए
सुन्दर शुरुआत नहीं है?? पद्म मुख पंडा
ग्राम महा पल्ली
जिला रायगढ़ छ गझूठ भी एक हकीकत है
झूठ
एक सच्चाई है
झूठ भी एक हकीकत है
झूठ के दम पर
सत्य भी हार जाता है
झूठ का
संसार से गहरा नाता है
झूठ बोलना
एक कला है
झूठ ने अनगिनत बार
सत्य को छला है
झूठ का अस्तित्व
हमेशा चुनौती से भरा है
झूठ से सत्यवादी भी डरा है
न्यायालय में भी
शासकीय कार्यालय में भी
झूठ का बड़ा दबदबा है
उच्च अधिकारी के प्रभाव में
सहायक कर्मी दबा दबा है
झूठे वायदे कर
जीत सकते हैं चुनाव
झूठ बोलकर
बदलते हैं बाजार भाव
ठीक है कि झूठ बुरी बात है
पर आजकल हर जगह
बिछी हुई झूठ की ही बिसात है
झूठ बोलना निंदनीय है
मगर झूठ की अनदेखी
खतरे की सौगात है
झूठ को महत्व दीजिए
संसार भी मिथ्या है
जीवन भी नश्वर है
झूठ की बुनियाद
ढहती जरूर है
पर झूठ से बचने के लिए
सदा सावधान रहिएपद्ममुख पंडा स्वार्थी
पद्मीरा सदन महापल्ली
जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़युग परिवर्तन
वेद पुराण उपनिषद् ग्रन्थ सब
पुरुषों ने रच डाला
तर्क वितर्क ताक पर रख कर
किया है कागज काला
सदियों से इस धरा धाम में
झूठ प्रपंच रचाया
मानवता को किया कलंकित
भेदभाव अपनाया
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र में
किया विभाजित जन को
निराधार कारण समाज में
बाँट दिया जन जन को
करके मात्र कल्पना से ही
ईश्वर को रच डाला
और कहा लोगों से
है यह रक्षा करने वाला
संकट की हर घड़ी में
ईश्वर ही एक सहारा
करना निश दिन पूजा इसकी
है सर्वस्व हमारा
वर्णभेद औ जाति प्रथा की
नींव रखी जब उसने
इतना अमंगलकारी होगा
सोचा था तब किसने?
जन्मजात ही ऊंच नीच का
ऐसा पाठ पढ़ाया
हर मनुष्य के मन में विष भर
लोगों.को भड़काया
ब्राह्मण बनकर इस समाज की
कर दी ऐसी तैसी
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
न जाने कैसी कैसी?
पर मित्रों अब हमें चाहिए
परिवर्तन की ज्योति
नया धर्म हो मानवता की
जग में बिखरे मोती
प्रेम और सद्भाव आज की
सबसे बड़ी जरूरत
हम बदलेंगे युग बदलेगा
बदले जग की सूरतविचारक पद्ममुख पंडा महापल्ली
मेरे जीवन की वक्र रेखा
मैं, एक निहायत शरीफ़ आदमी हूं,
ऐसा लोग अक्सर कहते हैं!
पर उन्हीं महाशयों को, जब जाना,
दूसरों से ,कुढ़ते रहते हैं!
उन शरीफ़ लोगों के साथ,
मुझे भी, वक़्त बिताना पड़ता है,
असहमत होने की स्थिति में भी,
हां में हां मिलाना , पड़ता है!
स्थिति यद्यपि विचित्र है,
तथापि ,इसका, दूसरा भी चित्र है!
गहन विचार करने पर,
एक अद्भुत आनन्द का अनुभव होता है,
मनुष्यता अभी जीवित है,
तभी, कोई साथ हंसता है, रोता है!
मेरे परिवार में, मुझे कौन प्यार करता है?
यह सवाल, मानस में, बार बार आता है,
माता, पिता,बहन, भाई हर कोई जताता है,
इस नश्वर संसार में, हमारा कौन सा नाता है?
फिर, जब मुड़कर, अपनी ओर, देखता हूं,
मुझे न जाने क्यों, अपराध बोध होता है,
मैं कितना पाखंडी हूं, इस अनुभूति से,
सच कहूं, बहुत क्रोध आता है!
खुद को पाता हूं, निहायत एक स्वार्थी व्यक्ति,
मेरा पूरा तन, पसीने से भीग जाता है!
कितनी रखते हैं, हम, दूसरों से अपेक्षाएं?
बेहतर हो, उनके लिए, कुछ, कर दिखाएं!
अभी भी, अध्ययन करता रहा हूं,
अपने बारे में, अपने कर्मों का लेखा,
यही है, मेरे जीवन की, वक्र रेखा!!
पद्म मुख पंडा,
वरिष्ठ नागरिक, कवि एवं विचारक
सेवा निवृत्त अधिकारी, छत्तीस गढ़ राज्य ग्रामीण बैंकहम सब भारतीय हैं NCC Song
हम सब भारतीय हैं NCC Song हमारी राष्ट्रीय एकता का परिचायक है. NCC में छात्रों को मिलिट्री से सम्बंधित सभी तरह की ट्रेनिंग दी जाती हैं।
NCC ट्रेनिंग में ये बताया जाता है अगर आप सेना में भर्ती होना चाहते है, तो वहां पर आपको कैसे रहना है और दुश्मन का सामना कैसे करना है। NCC में छात्रों को बुनियादी स्तर की ट्रेनिंग दी जाती है।
एन सी सी का उद्देश्य
1988 में राष्ट्रीय कैडेट कोर का उद्देश्य निर्धारित हुआ था तथा यह समय की कसौटी पर खरा उतरा है और देश की वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में भी अपेक्षित आवश्यकता को पूरा कर रहा है। एन सी सी का लक्ष्य युवाओं में चरित्रनिर्माण, कामरेडशिप, अनुशासन, धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण, साहस की भावना।
हम सब भारतीय हैं (NCC Song in Hindi )
हम सब भारतीय हैं, हम सब भारतीय हैं.
अपनी मंज़िल एक है, हा हा हा एक है,
हो हो हो एक है.
हम सब भारतीय हैं.कश्मीर की धरती रानी है, सरताज हिमालय है,
सदियों से हमने इस को अपने खून से पाला है.
देश की रक्षा की खातिर हम शमशीर उठा लेंगे,
हम शमशीर उठा लेंगे.
बिखरे-बिखरे तारे हैं हम,
लेकिन झिलमिल एक है,
हा हा हा एक है,
हो हो हो एक है,
हम सब भारतीय है.मंदिर, गुरूद्वारे भी हैं यहाँ, और मस्जिद भी है यहाँ,
गिरिजा का है घड़ियाल कहीं मुल्ला की कहीं है अजां
एक ही अपना राम हैं, एक ही अल्लाह ताला है,
एक ही अल्लाह ताला हैं.
रंग बिरंगे दीपक हैं हम,
लेकिन जगमग एक है,
हा हा हा एक है,
हो हो हो एक है.
हम सब भारतीय हैं,
हम सब भारतीय हैंकविता बहार द्वारा संग्रहित
Hum Sab Bharatiya Hain NCC Song in English
Hum Sab Bharatiya Hain, Hum Sab Bharatiya Hain
Apni Manzil Ek Hai,
Ha, Ha, Ha, Ek Hai,
Ho, Ho, Ho, Ek Hai.
Hum Sab Bharatiya Hain.Kashmir Ki Dharti Rani Hai,
Sartaj Himalaya Hai,
Saadiyon Se Humne Isko Apne Khoon Se Pala Hai
Desh Ki Raksha Ki Khatir Hum Shamshir Utha Lenge,
Hum Shamshir Utha Lenge.Bikhre Bikhre Taare Hain Hum Lekin Jhilmil Ek Hai,
Ha, Ha, Ha, Ek Hai
Hum Sab Bharatiya Hai.
Mandir Gurudwaare Bhi Hain Yahan
Aur Masjid Bhi Hai Yahan
Girija Ka Hai Ghariyaal Kahin
Mullah ki Kahin Hai AjaanEk Hee Apna Ram Hain, Ek hi Allah Taala Hai,
Ek Hee Allah Taala Hain, Raang Birange Deepak Hain Hum,
lekin Jagmag Ek Hai, Ha Ha Ha Ek Hai, Ho Ho Ho Ek Hai.
Hum Sab Bharatiya Hain, Hum Sab Bharatiya Hain.अमर शहीदों पर कविता – महदीप जँघेल
अमर शहीदों पर कविता – महदीप जँघेल
जिसके दम पर खड़ा है भारत,
जिसे पूरा राष्ट्र करे सलाम।
भारत के ऐसे अमर शहीदों को,
हमारा शत् शत् है प्रणाम।
आजादी के लिए खून बहाकर,
देते वीर देशभक्ति का पैगाम।
राष्ट्र के लिए मर मिटने वाले,
अमर शहीदों को सादर प्रणाम।
गुलामी का जंजीर तोड़कर,
किया राष्ट्र धर्म का काम।
वीर सपूतों को जन्म देने वाले,
अमर शहीदों को हमारा प्रणाम।
ये वीर बलिदानी अगर न होते,
न जाने कब तक रहते गुलाम?
मातृभूमि के लिए रक्त समर्पित,
ऐसे वीरों को सादर प्रणाम।
मत भूलना याद शहीदों की,
किया जिन्होंने महान काम।
त्याग और बलिदान की मूरत,
ऐसे अमर शहीदों को प्रणाम।
देश सेवा में घर परिवार छोड़के,
बाजी लगाते है अपनी जान की,
ठंड वर्षा भूख प्यास सहकर,
रक्षा करते देश के सम्मान की।
देश की खातिर जीते और मरते,
इनका सदैव करें सम्मान।
देश प्रेम जिनका धर्म रहा है,
ऐसे अमर शहीदों को शत-शत प्रणाम।महदीप जँघेल
ग्राम- खमतराई,खैरागढ़
जिला-राजनांदगांव (छ.ग)सुभाष चंद्र बोस – डॉ एन के सेठी
सुभाष चंद्र बोस – डॉ एन के सेठी
आजादी के नायक थे
मातृभू उन्नायक थे
जीवन अर्पण किया
ऐसे त्यागी वीर थे।।
भारत माँ हुई धन्य
देशभक्ति थी अनन्य
जयहिन्द किया घोष
कर्मयोगी वीर थे।।
त्याग दिया घर बार
किया वतन को प्यार
शत्रु के लिए सदा वो
तेज शमशीर थे।।
भारत माँ के सपूत
साहस भरा अकूत
झुके नहीं रुके नहीं
देश तकदीर थे।।
नाम सुभाष बोस था
दिल मेंभरा जोश था
देशभक्ति का जुनून
ज्ञानवान धीर थे।।
त्याग दिए सुख चैन
देखे नहीं दिन रैन
देश हित लगे रहे
मातृभूमि वीर थे।।
हिन्द हित सेना जोड़
शत्रुमुख दिया तोड़
पीठ न दिखाई कभी
ऐसे रणधीर थे।।
कभी नहीं मानी हार
शत्रु झुका हर बार
आजादी के लिए लड़े
सुधीर गम्भीर थे।।
डॉ एन के सेठी