झूला झूले फुलवा- ताँका संग्रह की समीक्षा
मेरी यह पुस्तक -‘ झूला झूले फुलवा ‘ – हिंदी ताँका की विश्व मे पहली इ पुस्तक है। इसकी समीक्षा ज्योत्सना प्रदीप -विख्यात साहित्यकार ने की है।
ताँका एक जापानी शैली की रचना विधा है ।
मेरी यह पुस्तक -‘ झूला झूले फुलवा ‘ – हिंदी ताँका की विश्व मे पहली इ पुस्तक है। इसकी समीक्षा ज्योत्सना प्रदीप -विख्यात साहित्यकार ने की है।
ताँका एक जापानी शैली की रचना विधा है ।
मन की आंखें पात्र परिचय :-रागिनी – एक कामकाजी लड़की।राजन- अंधा व्यक्ति ।राहुल – रागिनी की सहकर्मी । (रागिनी अपनी ऑफिस की ओर जा रही थी। रास्ते में एक अंधा आदमी सड़क किनारे खड़ा हुआ सड़क पार करने की कोशिश रहा था ।) रागिनी : (ऑटो से ही)भैया !अभी मुझे अपने ऑफिस तक नहीं जानी … Read more
अकिल की शायरी चाहत है ये मेरी कुछ ऐसा कर जाऊँ,भारत की धरती को अपने लहू से रंग जाऊँ। ख्वाहिश थी ये मेरी की माँ की गोद में झूमलूँ,बुढ़े वालिद की नजर को पढ़ूँ और बीबी के हाथों को चूम लूँ। कोई बतादे मुझको कहाँ है वो बचपन की गलियाँ,वो गुड्डा – गुड्डी, चोर-सिपाही, दोस्त … Read more
तुम लेखक नहीं नर पिचास हो सिर्फ तुम ही नहींतुम से पूर्व भी थीपूरी जमात भांडों की।जो करते रहे ताथाथैयादरबारों की धुन पर।चाटते रहे पत्तलसियासी दस्तरखान पर।हिलाते रहे दुमसियासी इशारों पर।चंद रियायतों के लिएचंद सम्मान-पत्रों के लिए।करते रहे कत्लजनभावनाओं का।करते रहे अनसुनाकरुण चीखों को।करते रहे नजर अंदाजअंतिम पायदान केव्यक्ति की पीड़ा।तुम लेखक नहींनर पिचास हो। … Read more
विवाह-एक पवित्र बंधन विवाह एक संस्कृति व संस्कार है।विवाह बंधनों का मधुर व्यवहार है।दो पवित्र आत्माओं का होता मिलन।लुटाएँ एक दूजे पर असीम प्यार है।1।सात जन्मों का है ये प्यारा बंधन।वंश बेला बढ़ाने का नाम है जीवन।केवल बंधन नहीं विवाह स्त्री पुरुष का।दो पवित्र आत्माओं का है मधुर मिलन।2।सुख दुख बाँटने का रास्ता है विवाह।जीवन … Read more