छूकर मुझे बसंत कर दो
छूकर मुझे बसंत कर दो – निमाई प्रधान तुम बिन महज़ एक शून्य-सा मैंजीकर मुझे अनंत कर दो ….। पतझर-पतझर जीवन हैछूकर मुझे बसंत कर दो ।। इन्द्रधनुष एक खिल रहा है, मेरे हृदय के कोने में…..बस जरुरत एक ‘हाँ’ की …शून्य से अनंत होने में ।छू लो ज़रा लबों को मेरे..शंकाओं का अंत कर … Read more