छूकर मुझे बसंत कर दो

छूकर मुझे बसंत कर दो – निमाई प्रधान तुम बिन महज़ एक शून्य-सा मैंजीकर मुझे अनंत कर दो ….। पतझर-पतझर जीवन हैछूकर मुझे बसंत कर दो ।। इन्द्रधनुष एक खिल रहा है, मेरे हृदय के कोने में…..बस जरुरत एक ‘हाँ’ की …शून्य से अनंत होने में ।छू लो ज़रा लबों को मेरे..शंकाओं का अंत कर … Read more

दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल

दिलीप कुमार पाठक सरस का ग़ज़ल जिंदादिली जिसकी बदौलत गीत गाना फिर नया |हँसके ग़ज़ल गाते रहो छेड़ो तराना फिर नया || है जिंदगी जी लो अभी फिर वक्त का कोई भरोसा है नहीं |पल भर ख़ुशी का जो मिले किस्सा सुनाना फिर नया || हँसना हँसाना रूठ जाना फिर मनाना आ गया |अच्छा लगे  … Read more

सेवा पर कविता

सेवा पर कविता – मानक छत्तीसगढ़िया ठंडी में गरीब को कपड़े दे दो,गर्मी में प्यासे को पानी।हर मौसम असहाय की सेवा,ऐसे बीते जवानी।। अशिक्षित को शिक्षित बना दो,कमजोर को बलशाली।भटके को सच राह दिखा दो,भीखारी को भी दानी।। दीन दुखियों को खुशियां दे दो,रोते को हंसी सारी।रोगी को आराम दिला दो,हो ऐसा कर्म कहानी।। प्रेम … Read more

दीपक पर कविता

नव्य आशा के दीप जले – मधु सिंघी नव्य आशा के दीप जले,उत्साह रूपी सुमन खिले।कौतुहल नवनीत जगाकर,नया साल लो फिर आया। मन के भेद मिटा करके,नयी उम्मीद जगा करके।संग नवीन पैगाम लेकर ,नया साल लो फिर आया। सबसे प्रीत जगा करके,सबको मीत बना करके।संग में सद्भावनाएँ लेकर ,नया साल लो फिर आया। मुट्ठी में … Read more

श्याम छलबलिया – केवरा यदु

shri Krishna

श्याम छलबलिया – केवरा यदु श्याम छलबलिया कइसे भेज दिहे व पाती।तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे।ऊधो आइस पाती सुनाइस।पाती पढ़ पढ सखी ला सुनाईस।पाती सुन के पाती सुन के धड़कथे मोर छाती।।तुम्हरे दरस बर तरसथे मोर आँखी।।कान्हा रे कान्हा रे कान्हा रे … Read more