बाबूराम सिंह की कुण्डलियां

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां मानुष तनअनमोल अति,मधुरवचन नितबोल।रहो परस्पर प्यार से ,जन -मन मधुरस घोल।।जन-मन मधुरस घोल,जीवन सुज्योति जलेगा।होगा कर्म अकर्म , हृदय में पुण्य फलेगा।।कह बाबू कविराय ,कुचलो पाप अधर्म फन।पुनः मिले ना मिले,सोच लो यह मानुष तन।।* देना सुख से प्यार को ,यही परम सौभाग्य।क्षणभंगुर जीवन अहा ,जाग सके तो जाग।।जाग सके तो … Read more

तीजा पोरा के दिन आगे

तीजा पोरा के दिन आगे तीजा पोरा के दिन आगे चलो मइके दुआरी माउहाँ दाई डहर देखे अपन चढ़के अटारी मा । गुड़ी मा बैठ के रद्दा निहारत हे बिहनिया लेलगे होही मया मारे सियनहा संग चारी मा । मया सुतरी ह लामे हे बिताए जम्मो घर डेराखुशी के दिन जहुँरिया के लेहे आही सवारी … Read more

पोरा तिहार

पोरा तिहार छत्तीसगढ़ के परब आगे,हिरदे मा ख़ुशी छा गे गा।माटी के बइला ला भरले,पोरा तिहार मना ले गा।काठा भर पिसान सान ले,ठेठरी खुरमी बना ले गा।पोरा तिहार के परम्परा ला,संगे- संग निभाले गा।मोटरा बांध के ठेठरी खुरमी,बहिनी घर अमराबे गा,किसिम किसिम लम्हरी बोदकु,ठेठरी सबला खवाबे गा।सगा सोदर गांव समाज मा,सुनता ल् बगराबे गा,छत्तीसगढ़िया के … Read more

विनोद सिल्ला की कविता

भाईचारा पर कविता मैंने मना कर दिया मैंने भाईचारानिभाने सेमना कर दिया थी उनकी मनसामैं उनकोभाई बनाऊंवे मुझको चारा । -विनोद सिल्ला मेरा कुसूर मैं था कठघरे मेंदागे सवालउठाई उंगलीलगाए आक्षेपनिकाली गलतियाँनिकम्मों ने मेरा कुसूर था किमैंने काम किया । -विनोद सिल्ला

भ्रमर दोहे – बाबूराम सिंह

भ्रमर दोहे आगे-आगे जा करे,जो सुधैर्य से काम।बाढे़ चारो ओर से , ढे़रों नेकी नाम।। प्यासेको पानी पिला,भूखेको दोभीख।वेदों शास्त्रोंका यहीं,लाखों में है सीख।। जाने माने लोग भी ,हो जाते हैं फेल।पूर्ण यहाँ कोई नहीं,माया का है खेल।। गाये धाये नेक पै ,पाये प्यारा नाम।छाये भोले भाव पै,भाये साँचा काम।। जाना है जागो मना,अंतः आँखे … Read more