Blog

  • कृष्ण कन्हैया – डॉ एन के सेठी

    कृष्ण
    कृष्ण

    कृष्ण कन्हैया


    आए हैं कृष्ण कन्हैया
    हर्षित हैं बाबा मैया
    धूम मची चहुँ ओर
    खुशियां मनाइए।।

    आए है तारणहार
    होगा दुर्जन संहार
    स्वागत करें मिलके
    घर में बुलाइए।।

    बादल बरस रहे
    कालिंदी भी खूब बहे
    आए हैं दुख मिटाने
    गुणगान गाइए।।

    हुई ब्रजभूमि धन्य
    उनसा न कोई अन्य
    सौम्य सुंदर रूप को
    हिय में बसाइये।।

    नंद के दुलारे हैं
    जन जन के प्यारे हैं
    मुरलीधर गोपाला
    दरस दिखाइए।।

    सूरत है बड़ी प्यारी
    मयूर मुकुट धारी
    कमलनयन प्रभो
    कृपा बरसाइए।।

    नारायण मधुसूदन
    माधव मनमोहन
    कठिन जीवनपथ
    राह दिखलाइये।।

    सृष्टि में है धूम मची
    ईश ने ये लीला रची
    माँ यशोदा के लाल को
    मन से ही ध्याइए।।

    *©डॉ एन के सेठी*

  • जन्माष्टमी पर दोहे -मदन सिंह शेखावत

    जन्माष्टमी पर दोहे -मदन सिंह शेखावत

    shri Krishna
    Shri Krishna

    जन्माष्टमी पर दोहे


    भादौ मास अष्ठम तिथि , प्रकटे कृष्ण मुरार।
    प्रहरी सब अचेत हुए , जेल गये खुल द्वार।।1

    जमुना जी उफान करे, पैर छुआ कर शान्त।
    वासुदेव धर टोकरी , नन्द राज के कान्त।।2

    कंस बङा व्याकुल हुआ,ढूढे अष्ठम बाल।
    नगर गांव सब ढूंढकर ,मारे अनेक लाल।।3

    मधुर मुरलिया जब बजी,रीझ गये सब ग्वाल।
    नट नागर नटखट बङा , दौङे आये बाल।।4

    कृष्ण सुदामा मित्रता , नहीं भेद प्रभु कीन।
    तीन लोक की संपदा , दो मुठ्ठी में दीन।।5

    कृष्ण मीत सा कब मिले, रखे सुदामा प्रीत।
    सदा निभाया साथ है, बनी यही है रीत।6

    असुवन जल प्रभु पाँव धो,कहे मीत दुख पाय।
    इतने दिन आये नहीं, हाय सखा दुख पाय।।7

    मदन सिंह शेखावत ढोढसर स्वरचित

  • हो नहीं सकती – बाबुराम सिंह

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    हो नहीं सकती


    शुचिता सच्चाई से बड़ा कोई तप नहीं दूजा,
    सत्संग बिना मन की सफाई हो नहीं सकती।

    नर जीवन जबतक पुरा निःस्वार्थ नहीं बनता,
    तबतक सही किसीकी भलाई हो नहीं सकती।

    अन्दर से जाग भाग सदा पाप दुराचार से,
    सदज्ञान बिन पुण्यकी कमाई हो नहीं सकती।

    काम -कौल में फँसकर ना कृपण बनो कभी,
    सदा दान बिन धन की धुलाई हो नहीं सकती।

    देव ऋषि पितृ ऋण से उॠण होना है,
    वेदज्ञान बिन इसकी भरपाई हो नहीं सकती।

    राष्ट्र रक्षा जन सुरक्षा में सतत् निमग्न रह,
    बीन अनुभव कर्मों की पढ़ाई हो नहीं सकती।

    परमात्मा और मौत को रख याद सर्वदा,
    यह मत जान जग से विदाई हो नहीं सकती।

    अज्ञान में विद्वान का अभिमान मत चढ़ा,
    किसी से कभी सत्य की हंसाई हो नहीं सकती।

    बन आत्म निर्भर होश कर आलस प्रमाद छोड़,
    आजीवन तेरे से पोसाई हो नहीं सकती। ।

    शुम कर्म , वेद ज्ञान , सत्य – धर्म के बिना,
    बाबूराम कवि तेरी बड़ाई हो नहीं सकती।
    बाबुराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ,विजयीपुर
    गोपालगंज ( बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032

  • सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि

    सर्द हवाएँ – सुकमोती चौहान रुचि


    सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये |
    आ कानों में कुछ कहती है, मधुरिम भाव जगाये |

    हमको तुम कल शाम मिले थे, पसरी थी खामोशी |
    भाव अनेकों उमड़ पड़े थे, लब पर थी मदहोशी ||
    शांत सुखद मौसम लगता है, मन ये शोर मचाये |
    सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये ||

    तुमसे मिलकर होश गँवाये, आती कहीं न चैना |
    नित्य देखते ख्वाब तुम्हारा, जागे सारी रैना |
    नरम नरम कंबल में लिपटे, याद तुम्हारी आये |
    सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये ||

    धूप सुनहरी बड़ी सजीली, पंछी भरते आँहें |
    खड़े रहे थे तुम फैलाये , आलिंगन की बाँहें |
    खुली वादियाँ उड़ता आँचल, हरदम तुम्हें बुलाये |
    सर्द हवाएँ हृदय समाये, तन मन महका जाये |


    सुकमोती चौहान रुचि

  • कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह

    कुम्हार को समर्पित कविता -निहाल सिंह

    फूस की झोपड़ी तले बैठकर।
    चाक को घुमाता है वो दिनभर।

    खुदरे हुए हाथों से गुंदके
    माटी के वो बनाता है मटके
    तड़के कलेवा करने के बाद
    लगा रहता है वो फिर दिन- रात
    स्वयं धूॅंप में नित प्रति दिन जलकर
    चाक को घुमाता है वो दिनभर |

    ऑंखों की ज्योति धुॅंधली पड़ गई
    चश्मे की नम्बर अधिक बढ़ गई
    इब के वैसाख के महीने में
    किये है सत्तर साल जीने में
    उसने माटी का रंग बदलकर
    चाक को घुमाता है वो दिनभर |

    माथे के बाल सफेद हो गए
    दाढ़ी के बाल समस्त सो गए
    चमड़ी पर इंक सी गिरने लगी
    भाल पर झुर्रियाँ पसरने लगी
    मेह में बुड्ढे तन को भिगोकर
    चाक को घुमाता है वो दिनभर |

    -निहाल सिंह, दूधवा-नांगलियां, झुन्झुनू , राजस्थान