मच्छर पर कविता /पद्म मुख पंडा

mosquito

मच्छर पर कविता/ पद्म मुख पंडा ये मच्छर भी? न दिन देखते, न रात,ये आवारा मच्छर,करते हैं, आघात मुंह से,जहरीले तरल पदार्थ,मानव शरीर के अंदर,डालकर, चंपत हो जाते हैं!होती है खुजली,होकर परेशान , आदमी लेता है संज्ञान,मॉस्किटो क्वाइल जलाकर,आश्वस्त हो जाता है,मच्छर से बदला लेने का,यह तरीका भी फीका पड़ चुका है,मच्छर धुएं के साथ … Read more

हरतालिका पर कविता

हरतालिका वर्षा में मन भावन,माह भाद्रपद पावन,उमा सा सुहाग संग,चाहे तिय बालिका। तृतीया शुक्ल पक्ष में,नक्षत्र हस्त कक्ष में,पूजे सबलाएँ सत्य,पार्वती प्रणपालिका। धारती कठोर प्रण,निर्जला चखे न तृण,पूर्ण दिन रात व्रती,तीज हरतालिका। नीलकण्ठ हैं अघोरी,उमा ही भवानी गौरी,धारती विविध रूप,दुष्ट हेतु कालिका।. —+—✍©बाबू लाल शर्मा, बोहरा, विज्ञसिकन्दरा, दौसा, राजस्थान

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां

बाबूराम सिंह की कुण्डलियां मानुष तनअनमोल अति,मधुरवचन नितबोल।रहो परस्पर प्यार से ,जन -मन मधुरस घोल।।जन-मन मधुरस घोल,जीवन सुज्योति जलेगा।होगा कर्म अकर्म , हृदय में पुण्य फलेगा।।कह बाबू कविराय ,कुचलो पाप अधर्म फन।पुनः मिले ना मिले,सोच लो यह मानुष तन।।* देना सुख से प्यार को ,यही परम सौभाग्य।क्षणभंगुर जीवन अहा ,जाग सके तो जाग।।जाग सके तो … Read more

तीजा पोरा के दिन आगे

तीजा पोरा के दिन आगे तीजा पोरा के दिन आगे चलो मइके दुआरी माउहाँ दाई डहर देखे अपन चढ़के अटारी मा । गुड़ी मा बैठ के रद्दा निहारत हे बिहनिया लेलगे होही मया मारे सियनहा संग चारी मा । मया सुतरी ह लामे हे बिताए जम्मो घर डेराखुशी के दिन जहुँरिया के लेहे आही सवारी … Read more

पोरा तिहार

पोरा तिहार छत्तीसगढ़ के परब आगे,हिरदे मा ख़ुशी छा गे गा।माटी के बइला ला भरले,पोरा तिहार मना ले गा।काठा भर पिसान सान ले,ठेठरी खुरमी बना ले गा।पोरा तिहार के परम्परा ला,संगे- संग निभाले गा।मोटरा बांध के ठेठरी खुरमी,बहिनी घर अमराबे गा,किसिम किसिम लम्हरी बोदकु,ठेठरी सबला खवाबे गा।सगा सोदर गांव समाज मा,सुनता ल् बगराबे गा,छत्तीसगढ़िया के … Read more