आजाद देश की दशा पर कविता

आजाद देश की दशा पर कविता भाई भाई में देखो कितनी लड़ाई हैहर चौराहे पर बैठा देखो कसाई हैपर्दे में आज भी रहती है बहू बेटियांकहते हैं लोग हमारा देश आजाद है। बेटियों के घर पर बेटा घर जमाई हैंन…

स्वदेशी पर कविता

mera bharat mahan

स्वदेशी पर कविता इंग्लिस्तानी छोड़ सभ्यता,अपनाओ देशीहिंदुस्तानी रहन-सहन हो,छोड़ो परदेशी। वही खून फिर से दौड़े जो,भगतसिंह में था,नहीं देश से बढ़कर दूजा, भाव हृदय में था,प्रबल भावना देशभक्ति की,नेताजी जैसी,इंग्लिस्तानी छोड़ सभ्यता,अपनाओ देशीहिंदुस्तानी रहन-सहन हो,छोड़ो परदेशी। वही रूप सौंदर्य वही…

देशप्रेम पर कविता-कन्हैया साहू अमित

mera bharat mahan

देशप्रेम पर कविता देशप्रेम रग-रग बहे, भारत की जयकार कर। रहो जहाँ में भी कहीं, देशभक्ति व्यवहार कर। मातृभूमि मिट्टी नहीं, जन्मभूमि गृहग्राम यह।स्वर्ग लोक से भी बड़ा, परम पुनित निजधाम यह।जन्म लिया सौभाग्य से, अंतिम तन संस्कार कर।-1रहो जहाँ…

प्रेम उत्तम मार्ग है पर कविता

प्रेम उत्तम मार्ग है पर कविता अन्नय प्रेम है तुझसे रीतेरे स्वर लहरी की मधुर तान।तुम प्रेम की अविरल धारा होमुख पे तेरी है मिठी मुस्कान ।मेरे मन में बसी है तेरी छवितुम्हें देख के मेरा होय विहान।मैं व्यथित, विकल…

बिहार बरबीघा (पुनेसरा) के कवि बाँके बिहारी बरबीगहीया द्वारा रचित कविता तुम और चाँद जो निश्छल प्रेम पर कविता को को दर्शाता है ।।

निश्छल प्रेम पर कविता चाँद तू आजा फिर से पास मेरेबिन तेरे जिन्दगी अधूरी है ।खोकर तुम्हें आज मैंने जाना हैमेरे लिए तू कितनी जरूरी है ।। रूठी हो अगर तो मैं मनाता हूँमाफ कर अब मैं कसम खाता हूँगलती…

राधा और मीरा पर लेख

रक्षा बन्धन एक महत्वपूर्ण पर्व है। श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह ‘रक्षासूत्र’ मात्र धागे का एक टुकड़ा नहीं होता है, बल्कि इसकी महिमा अपरम्पार होती है। कहा जाता है कि एक बार…

रूढ़ीवाद पर कविता

रूढ़ीवाद पर कविता उन्होंने डाली जयमालाएक-दूसरे के गले मेंहो गए एक-दूसरे केसदा के लिएप्रगतिशील लोगों नेबजाई तालियांहो गए शामिलउनकी खुशी मेंरूढ़ीवादियों नेमुंह बिचकाएनाक चढ़ाईकरते रहे कानाफूसीकरते रहे निंदाअन्तर्जातीय प्रेम-विवाह कीदेते रहे दुहाईपरम्पराओं कीदेखते ही देखतेढह गया किलासड़ी-गलीव्यवस्था का Post Views: 113

कदम-कदम पर कविता

कदम-कदम पर कविता यहां हैप्रतिस्पर्धाइंसानों मेंएक-दूसरे से।आगे निकलने कीचाहे किसी केसिर पर या गले पररखना पड़े पैर,कोई परहेज़-गुरेज नहीं ।किसी को कुचलने मेंनहीं चाहता कोईसबको साथ लेकरआगे बढ़ना।होती है टांग-खिंचाईरोका जाता हैै।आगे बढ़ने सेडाले जाते हैं अवरोध।लगाया जाता है,एड़ी-चोटी का…

विरह पर कविता

विरह पर कविता प्रेम में पागल चाँद से चकोर प्यार करे ।उम्र भर देखे शशि को उसका हीं दीदार करे । हिज्र एक पल का भी सहा जाये ना उनसे ।आंसुओं के मोती से इश्क का इजहार करे। हर घड़ी…

बहरूपिया पर कविता

बहरूपिया पर कविता ये क्या ! अचानक इतने सारेअब गाँव- गाँव पधारे ,लगता है सफेद पंखधारीहंस है सारे !सावधान रहना रे प्यारे !भेष बदलने वाले है सारे !! पहले पता नहीं थाइसमें क्या – क्या गुण है,ये हमारे शुभ चिंतक…

हंसवाहिनी माँ पर कविता

हंसवाहिनी माँ पर कविता हंसवाहिनी मात शारदेहमको राह दिखा देना।वीणापाणि पद्मासना माँतम अज्ञान हटा देना।।???विद्यादायिनी तारिणी माँकरु प्रार्थना मैं तेरी।पुस्तकधारिणी माँ भारतीहरो अज्ञानता मेरी।।???हम सब अज्ञानी है माताहम पर तुम उपकार करो।तुम दुर्बुद्धि दुर्गुण मिटाकरशुचि ज्ञान का दान करो।।???हे धवलवस्त्रधारिणी…

रोटी पर कविता

रोटी पर कविता सांसरिक सत्य तोयह है किरोटी होती हैअनाज कीलेकिन भारत में रोटीनहीं होती अनाज कीयहाँ होती हैअगड़ों की रोटीपिछड़ों की रोटीअछूतों की रोटीफलां की रोटीफलां की रोटीऔर हांयहाँ परनहीं खाई जातीएक-दूसरे की रोटी -विनोद सिल्ला Post Views: 65