आज भी बिखरे पड़े हैं – गंगाधर मनबोध गांगुली
आज भी बिखरे पड़े हैं – गंगाधर मनबोध गांगुली गंगाधर मनबोध गांगुली ” सुलेख “ समाज सुधारक ” युवा कवि “ कल तक बिखरे पड़े थे , आज भी बिखरे पड़े हैं ।अपने आप को देखो , हम कहाँ पर खड़े हैं ।।01।। बट गये हैं लोग , जाति और धर्म पर ।गर्व करते रहो , मूर्खतापूर्ण … Read more