जीवन मूल्य पर आधारित कविता-राजकिशोर धिरही

जीवन मूल्य पर आधारित कविता कोई भी विपदा आ जाए,कभी नहीं घबराना।बाधाओं से लड़कर के ही,हमको बढ़ते जाना।। सत्य मार्ग में चलकर के हम,लक्ष्य सदा पा सकते ।कठिन डगर भी हो फिर भी हम,मंजिल तक जा सकते।। अधिकार मिले जो भी हमको,उसको पढ़ना होगा।वंचित करना चाहे हमको,आगे बढ़ना होगा।। भाईचारे की चाहत रख,प्रेम शांति से … Read more

सेवा -प्रेम आधारित कविता-डॉ शशिकला अवस्थी

सेवा -प्रेम आधारित कविता सेवा ,प्रेम पुण्योदय से हो जाओ मालामाल।प्रभु खुशियों से झोली भर कर, हे मानव तुम्हें कर देंगे खुशहाल। जनहित के कार्य करो, कोई ना रहे बेहाल।परमार्थ में जीवन बीते,सबके जीवन में,उड़ाओ खुशी गुलाल।मन, कर्म ,वचन से सबके कष्ट हरो, तुम हो भारत माता के लाल।प्रकृति पर्यावरण के संरक्षक बनो ,भारत मातृभूमि … Read more

बाबूलाल शर्मा के लावणी छंद

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बाबूलाल शर्मा के लावणी छंद काव्य रंगोली- लावणी छंद पूजा की थाली सजती हैअक्षत पुष्प रखें रोली।काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,कवि प्रिया,काव्य रंगोली। हिन्दी साहित सृजन साधना,साध करे भाषा बोली।कविता गीत गजल चौपाई,लिखे कवि काव्य रंगोली। दोहा छंदबद्ध कविताई,मुक्तछंद,प्रीत ठिठोली।प्रेम रीति शृंगार सलौने,पढ़ि देख काव्य रंगोली। लिखे सभी पर्व की बातें,ईद दीवाली व होली।गंगा जमनी … Read more

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद

बाबूलाल बौहरा के कुण्डलियाँ छंद संवेदना -कुण्डलिया छंद होती है संवेदना, कवि  पशु  पंछी  वृक्ष।मानव मानस हो रहे, स्वार्थ पक्ष विपक्ष।स्वार्थ पक्ष विपक्ष, शून्य  संवेदन  बनते।जाति धर्म के वाद,बंधु आपस में तनते।भूल रहे संस्कार,खो रहे संस्कृति मोती।हो खुशहाल समाज,जब संवेदना होती। बढ़ती  है  संवेदना, राज  धर्म संग  साथ।व्यक्ति वर्ग समाज भी,रखें मनुजता माथ।रखें मनुजता माथ, … Read more

बाबूलाल शर्मा बौहरा के नवगीत

बाबूलाल शर्मा बौहरा के नवगीत कहानी मोड़ मन मानस कहानी मोड़ मन मानसउदासी छोड़नी होगी।पिपासा पीर विश्वासीनिराशा भूल मन योगी।। गरीबी की नहीं गिनतीदुखों का जब पहाड़ा होनही बेघर नदी समझोकिनारा तल अखाड़ा ।वृथा भटको नहीं बादलविरह पथ दर्द संयोगी।,। उजाले भूल मन चातकअँधेरे सिंधु से ले लोबहे सावन दृगों से हीअकालों का यजन झेलोबहे … Read more