विनोद सिल्ला की व्यंग्य कवितायेँ
यहाँ पर विनोद सिल्ला की व्यंग्य कवितायेँ प्रकाशित की गयी हैं आपको कौन सी अच्छी लगी कमेंट कर जरुर बताएँगे दो-दो भारत वंचितों की बस्तियां इस ओर हैं,सम्पन्नों की बस्तियां उस ओर हैं, उधर महके सम्पन्नता में छोर-छोर,इधर अभावग्रस्त है हर कोर-कोर, उधर पकवानों की महक उठी है,इधर पतीली उपेक्षित सी पड़ी है, उधर पालतू … Read more