वक्त ने सितम क्या ढाया है
वक्त ने सितम क्या ढाया है यह कैसी बेवसी है ,कैसा वक्त,अपनी हद में रह कर भी सजा पाईचाहा ही क्या था फ़कत दो गज जमीन ,वो भी न मिली और महाभारत हो गयी।चाहा ही क्या था बस अपना हक…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
वक्त ने सितम क्या ढाया है यह कैसी बेवसी है ,कैसा वक्त,अपनी हद में रह कर भी सजा पाईचाहा ही क्या था फ़कत दो गज जमीन ,वो भी न मिली और महाभारत हो गयी।चाहा ही क्या था बस अपना हक…

यहाँ माँ पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। माँ सी हो गई…
सड़क पर कविता अजगर के जीभ सी ये सड़कसड़क नहीं है साहब….चीरघर है।हर दस मिनट में यहाँहोती हैं हलाल…इन द्रुतगामी वाहनों से।रोज होते सड़क हादसों सेलीजिए सबकजरा सावधानी सेकीजिए सफरक्या तुम्हें नहीं हैजिन्दगी से प्यारनहीं ,तो उनके बारे में सोचिएजो…
नाराज़- डॉ० ऋचा शर्मा माँ बेटे से अक्सर रहती है नाराज़नहीं करता बेटा कोई भी काजयही समझाना चाहती है माँजीवन का गहरा राज़बस इसीलिए रहती है बेचारी नाराज़बेटे को पहनाना चाहती हैकामयाबी का ताज़समाज को मुँह दिखा पाऊँरख ले बेटा…
रात ढलती रही रात ढलती रही, दिन निकलते रहे,उजली किरणों का अब भी इंतजार है।दर्द पलता रहा, दिल के कोने में कहीं ,लब पर ख़ामोशियों का इजहार है।जीवन का अर्थ इतना सरल तो नहीं,कि सूत्र से सवाल हल हो गया।एक…
बसंत तुम आए क्यों ? मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? सुगंधो से भरीसभी आम्र मंजरीकोयल कूकती फिरेइत्ती है बावरीसबके ह्रदय में हूक उठाने मन में प्रेम जगाये क्यों?बसंत तुम आए क्यों ? हरी पत्तियाँ बनी तरुणीआलिंगन…
परदेसी से प्रीत न करना तुमसे विलग हुए तो कैसेकैसे दिवस निकालेंगे।दीप जलाये हैं हमने हीदीपक आप बुझा लेंगे। तन्हाई में जब जब यारायाद तुम्हारी आयेगी।परदेसी से प्रीत न करनादिल को यों समझा लेंगे।। शायद सदमा झेल न पाओतुम मेरी…
किसानों को समर्पित एक कविता जेठ की तपती दुपहरी होया मूसलाधार बारिशअभावों कीकुलक्षिणी रात होया ….दक्षिणी ध्रुवी अंधकार अमावस्याजाड़े की ठिठुरन में भीऔरों की तरहनहीं सोतावह घोड़े बेचकर ..जिम्मेवारियों का निर्वहन करतेधरती के गर्भ सेजिसनेअन्न उपजामनुष्य और मनुष्यता कोजीवित रखासंसार…

माधव श्री कृष्ण पर कविता सबके दिल मे रहने वाला,माखन मिश्री खाने वाला।गाय चराते फिरते वन मे,सुंदर तान सुनाने वाला ।खेल दिखाते सुंदर केशव,सबके मन को भाने वाला।भाये ना केशव मुझको अब, हर दस्तूर जमाने वाला।ध्यान धरे है माधव सबकी,दुख…
फिर जली एक दुल्हन शादी का लाल जोड़ा पहन,ससुराल आई एक दुल्हन,आंखों में सजाकर ख्वाब,खुशियों में होकर मगन! रोज सुबह घबरा सी जाती,बन्द सी हो जाती धड़कन,ना जाने कब बन जाये,लाल जोड़ा मेरा कफ़न! फिरभी सींचे प्यार से,अपना छोटा सा…

मनीलाल पटेल उर्फ़ मनीभाई नवरत्न के कविता एक अजब खिलखिल है जान अकेली है।मौत सहेली है।काँपती देहहवा बर्फीली है । चादर आसरा हैदहक सहारा है।दंत की किटकिटसर्द की नारा है। तन में ठिठुरन है ।मन में जकड़न है ।जग धुंधला…
जा लिख दे “साधु-साधु!”लेखनी लिखे कुछ विशेषदें आशीषमैं भी कुछ ऐसा लिख जाऊँजो रहे संचित युगों-युगोंचिरस्थायी,शाश्वत–’जा लिख दे अपना वतन’जो सृष्टि संग व्युत्पन्नआश्रयस्थल प्रबुद्धजनों का,शूरवीरों काप्रथम ज्ञातारहेगा समष्टि के अंत बाद भी। –’जा लिख दे उस माँ का वर्णन’जो जाग-जाग…