जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है

बाल श्रम निषेध दिवस

जीवन के झंझावातों में श्रमिक बन जाते है नन्ही नन्ही कोमल कायानिज स्वेद बहाते हैं।जीवन के झंझावातों में,श्रमिक  बन जाते है।हाथ खिलौने वाले  देखो,ईंटों को झेल रहे।नसीब नहीं किताबें इनकोमिट्टी से खेल रहेकठिन मेहनत करते है तबदो रोटी पाते है।जीवन के—–गरीबी अशिक्षा के चलते,जीवन दूभर होतातपा ईंट भठ्ठे में जीवनबचपन कुंदन होतासपने सारे दृग जल … Read more

राह निहारूं माई- सन्त राम सलाम

hands mother and her kids

यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। राह निहारूं माई – सन्त राम सलाम सांझ सबेरे तेरी,,,,,,,,राह निहारूं माई,,,,,,,,,मुझे छोड़-छोड़ मां तू, कहां चली जाती है। … Read more

जन-जन करोड़ों की मधुर मुसकान चाचा नेहरू /सुनील श्रीवास्तव ‘श्री’

जवाहरलाल नेहरू

भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चे प्यार से ‘चाचा नेहरू’ भी कहते हैं। जवाहरलाल नेहरू का मानना ​​था कि बच्चे किसी भी समाज की मूल नींव होते हैं, इसलिए उनका पालन-पोषण उपयुक्त वातावरण में किया जाना चाहिए और पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 14 नवंबर को बाल … Read more

बाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ

बाल श्रम निषेध दिवस

बाल मजदूरी निषेध पर कविताएँ: बाल-श्रम का मतलब यह है कि जिसमे कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है।

बाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक)

बाल श्रम निषेध दिवस

हर साल 12 जून को विश्व दिवस बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने और उनकी मदद के लिए किया जा सकता है, इसके लिए सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नागरिक समाज के साथ-साथ दुनिया भर के लाखों लोगों को एक साथ लाता है। बाल मजदूर पर कविता (लावणी छंद मुक्तक) राज, समाज, परायों अपनों, के … Read more