शाकाहारी जीवन / देवेंद्र चरण खरे आलोक

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शाकाहारी जीवन करें व्यतीत जन्म हुआ मानव का लेकर ,सौम्य प्रकृति आधार।तृण- तृण इसके रग- रग में है,रचता रहता सार।अंग सभी प्रत्यंग सजे हैं,सात्विक शक्ति शरीर,मन का मनका प्रस्तुत करता ,मन ही मन आभार। है विकास के पथ पर चलता,रज…

शाकाहारी भोजन/ हरि प्रकाश गुप्ता

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शाकाहारी भोजन अपनाइए भोजन अपनी अपनी पसंद का सभी का होता है।कोई मांसाहारी तो कोई शाकाहारी होता है ।।कुछ कहते मांसाहारी अच्छा होता है।कोई शाकाहारी को अच्छा कहता है ।।अपनी अलग-अलग सोच पर सभी कुछ निर्भर करता है।कहते हैं और…

जीवन की नैया धीरे-धीरे खेना

जीवन की नैया धीरे-धीरे खेना (छंद मुक्त रचना)“ओ खेवइया।जीवन की नैया,है बहुत ख़ूबसूरत,कमसिन है,भरी हुई है नज़ाकत से।देख,लहरें आ रहीं है दौड़कर,डुबोने को तत्पर।सम्हाल पतवार,ख़ीज लहरों की,तूफ़ान साथ ला सकती हैं।जीवन की नैया को,धीरे-धीरे खेना।रुकना नहीं ।पलटना नहीं।जो छुट गया…

हिन्दू जगे तो विश्व जगेगा RSS Geet

हिन्दू जगे तो विश्व जगेगा हिन्दू जगे तो विश्व जगेगा, मानव का विश्वास जगेगा।भेदभावना तमस हटेगा, समरसता अमृत बरसेगा।हिन्दू जगेगा, विश्व जगेगा।।ध्रु.।। हर हिन्दू सदा से विश्व बन्धु है जड़ चेतन अपना माना है।मानव पशु तरु गिरि सरिता में एक…

फिर क्या दूर किनारा

फिर क्या दूर किनारा त्याग प्रेम के पथ पर चलकरमूल न कोई हारा।हिम्मत से पतवार सम्भालोफिर क्या दूर किनारा। हो जो नहीं अनुकूल हवा तोपरवा उसकी मत कर।मौजों से टकराता बढ़ चलउठ माँझी साहस धर।धुन्ध पड़े या आँधी आयेउमड़ पड़े…

हम जैसे चलते हैं तुम भी चलो ना

हम जैसे चलते हैं , तुम भी चलो ना।हम जैसे रहते हैं , तुम भी रहो ना। । बहती हुई नदियां देखो , कल-कल बहती है ,कल-कल बहती है और , सागर में मिल जाती है। नदिया यह कहती है…

शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद

शरद पूर्णिमा पर कुंडलिया छंद 1—- उज्ज्वल- उज्ज्वल है धरा,चंद्र -किरण बरसात । चाँद गगन से झाँकता ,रूप मनोहर गात।। रूप मनोहर गात ,रजत सम बहती धारा। लिए शरद सौगात ,चंद्र का रूप निखारा।। कहे सुधा सुन मीत , प्रीत…

शाकाहारी भोजन / मधु वशिष्ठ

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शाकाहारी भोजन यह भोजन जो तुमने खाया है। क्यों किसी निरीह पशु को तड़पाया है? क्या उसके दर्द भी बढ़कर थी भूख तुम्हारी।जिव्ह्या का स्वाद क्या उसके जीवन से ज्यादा अनमोल था? उन्हें प्लेट में सजा कर खाते हुए क्या…