अब तो खुलकर बोल

अब तो खुलकर बोल* शर्मिलापन दूर भगाकर,घूँघट के पट खोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुल कर बोल!!जीवन की अल्हड़ता देखी,खुशियाँ थी अनमोल!दुख को देखा इन नैनों से,तर्क तराजू तोल!ऊंच नीच की गलियाँ देखी,अक्षर अक्षर बोल!बोल बावरी कलम कामिनी,अब तो खुलकर…

पुलवामा की घटना

पुलवामा की घटना पुलवामा की घटना देख,                              देश बड़ा शर्मिंदा है।धिक्कार हमारे भुजबल पर ,                      अब तक कातिल जिन्दा है।वो बार -बार हमला करते ,                          हम शांति वार्ता करते है।दुश्मन इस गफलत में है,                        शायद हम उससे डरते है।गीदड की…

अब तो बस प्रतिकार चाहिए

अब तो बस प्रतिकार चाहिए आज लेखनी तड़प उठी हैभीषण नरसंहार देखकर।क्रोध प्रकट कर रही है अपनाज्वालामुखी अंगार उगलकर।दवात फोड़कर निकली स्याहीतलवारों पर धार दे रही।कलम सुभटिनी खड्ग खप्पर लेरण चण्डी सम हुँकार दे रही।जीभ प्यास से लटक रहीवैरी का…

शारदे आयी हो मेरे अंगना

शारदे आयी हो मेरे अंगना हे माँ शारदे, महाश्वेता आयी हो मेरे अंगना ।पूजूँगा तुम्हें हे शतरूपा, वीणापाणि माँ चंद्रवदना ।। बसंत ऋतु के पाँचवे दिवस पर हंस पे चढ़ कर आती हो।हे मालिनी इसलिए तुम हंसवाहिनी कहलाती हो।।माता तुम…

पिया जी देखो वसंत आ गया

पिया जी देखो वसंत आ गया पेड़ो के झुरमुट से आतीकोयल की मीठी बोलीफूलों की हर कली पर देखोमतवाले भवरों की टोलीआम वृक्ष मंजरी व टिकोरो से लदबद गया ।पिया जी देखो वसंत आ गया ।। बेल वृक्ष पर आये…

एक कविता हूँ

एक कविता हूँ! उंगलियों में कलम थामेसोचता हूँ…कि कहींहै वह ध्वनिजो उसे ध्वनित करे…!मैं अंतरिक्ष में तैरता..कल्पनाओं मेंछांटता हूँशब्दमीठे -मीठेकोई शब्द मिलता नहीं मुझेजो इंगित करे उसेबस….उंगलियों से ही उसे –उकेरता हूँ …मिटाता हूँ ।उंगलियों में कलम थामे…मैं सोचता हूँ…

विश्वास टूटने पर कविता

विश्वास टूटने पर कविता खण्डित जब से विश्वास हुआ है ,                     मनवा सिहर गया है।जीना         दूभर     लगता    जाने                 क्या क्या गुज़र गया है।तिनका तिनका    जोड़   घरौंदा              मिल जुल सकल बनाया।ख्वाबों ,अरमानों   ने    मिल के             पूरा         महल   सजाया ।वज्रपात जब हुआ  …

मधुमासी चौपाइयाँ

मधुमासी चौपाइयाँ शरद शिशिर ऋतु कब के बीते, हाथ प्रकृति के रहे न रीते।दिनकर चले मकर के आगे, ठंडक सूर्य ताप से भागे।1बासंती मधुमास महीना, सर्व सुगन्धित भीना- भीना।घिरा कुहासा झीना-झीना, धरा सजी ज्यों एक नगीना।2कलियों पर हैं भ्रमर घूमते,…

बेचकर देखों मुझे जरा

बेचकर देखों मुझे जरा पूछने से पहले जवाब बना लिये।यार  सवाल तो गजब़ बना लिये। किसी ने पूछा ही नहीं मैं जिंदा हूँ,मगर तुम हसीन ख्वाब बना लिये। और और,और कहते रहे गम को,लो आशुओं का हिसाब बना लिये। मेरी…

नाराच ( पंच चामर ) छंद

नाराच ( पंच चामर ) छंद  :       24 मात्रा,   ज र ज र ज गुरु । महान  देश  की  ध्वजा  पुनीत  राष्ट्र  गान  है ।उठे  सदा  झुके  नहीं  अतीत  गर्व  प्राण   है ।।खड़े   रहे  डटे   रहे   मिसाल   दे  जवान …

मन में जो तू ठान ले /  रामनाथ साहू  ” ननकी “

doha sangrah

मन में जो तू ठान ले /  रामनाथ साहू  ” ननकी “ मन में जो तू ठान ले ,कुछ भी करले मीत ।हौसला  गिराना नहीं , होगी निश्चित जीत ।।चरण  स्पर्श है बंदगी , कृपा  करे  सब  संत ।मन के…