by कविता बहार | Mar 10, 2024 | हिंदी कविता
जलती धरती/पूनम त्रिपाठी woman-day धरती करे पुकार मानव सेमुझे न छेड़ो तुम इंसानबढ़ता जाता ताप हमाराक्यों काटते पेड़ हमारापेड़ काट रहा तू इंसानजलती धरती सूखे नलकूपसूरज भी आग बरसाएबादल भी न पानी लायेमत उजाड़ो मेरा संसारधरती का बस यही पुकारमै रूठी तो जग रूठेंगामेरे सब्र का...
by कविता बहार | Mar 10, 2024 | हिंदी कविता
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना / डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी woman-day नारी को जो शक्ति समझता।उसको सबसे ऊपर रखता।।इक नारी में सकल नारियां।भले विवाहित या कुमारियां।। प्रबल दिव्य भाव का सूचक।सारी जगती का संपोषक।।नारी श्रद्धा भव्य स्रोत है।मूल्यवान गतिमान पोत है।। नारी...
by कविता बहार | Mar 7, 2024 | हिंदी कविता
जलती धरती/श्रीमती शशि मित्तल “अमर” जलती धरती/श्रीमती शशि मित्तल “अमर” आओ कुछ कर लें प्रयासधरती माँ को बचाना है,दूसरों से नहीं रखें आसस्वयं कदम बढ़ाना है,देख नेक कार्य सब आएं पाससबमें चेतना जगाना है। ईंट कंक्रीट का बिछा कर जालवनों को कर दिया...
by कविता बहार | Mar 7, 2024 | हिंदी कविता
जलती धरती /डॉ0 रामबली मिश्र जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र सूर्य उगलता है अंगारा।जलता सारा जग नित न्यारा।।तपिश बहुत बढ़ गयी आज है।प्रकृति दुखी अतिशय नराज है।। मानव हुआ आज अन्यायी।नहीं रहा अब वह है न्यायी।।जंगल का हत्यारा मानव।शोषणकारी अब है दानव।। नदियों के प्रवाह को...
by कविता बहार | Mar 5, 2024 | हिंदी कविता
वेतन पर कविता कर्म करों फल मिलेगा मेहनत तो महिना भर हों गया, फिर वेतन कब मिलेगा ।सूनों सहाब डालोगे वेतन,समय पर तभी तो फिर कर्म का सुंदर फूल खिलेगा। सूनों सहाब हम कर्मचारियों की कहानी, हमें बस एक तारीख अच्छा लगता है। क्यों की लगभग इसी दिन तक वेतन डलता है, फिर दो पांच...