कविता का संसार
कविता का संसार गीतों ने संसार रचायाहंसी-खुशी के ताल संग।अलंकारों की झंकार मेंनाचता है छमछम छंद।। नायिका के ख्वाब सजानेनायक चाँद-सितारे लायानदिया गीत सुहाने गायेगूंजे निर्झर कलकल नाद दुःख -सुख की अजब रंगोलीविरह-मिलन की गमगीनीडूब-उबरते जाने कितने प्रेमीप्रीत के सागर में।। रंगमंच के इस खेले मेंनवरस में डूबे चारणकभी ओज में शब्द गूंजतेकभी भक्ति में … Read more
अकड़ पर कविता
अकड़ पर कविता जीवन के इस उम्र तकना जाने कितने मुर्दे देखे। कितनो को नहलाया तैयार भी कियाऔर पाया केवल अकड़सचमुच मुर्दो में अकड़ होती है लेकिन जीते जी इंसान क्यूं दिखाते है अकड़ क्या वे मुर्दे के समान है या यही उनकी पहचान हैमरना तो सब को हैफिर अकड़ अभी से क्यूं?? जियो जी … Read more
शिक्षा रोजगार पर कविता
शिक्षा रोजगार पर कविता शिक्षा की महिमा अति भारी।जन मन में करती उजियारी।ज्ञान प्रकाश हृदय भर देती।मन के सकल तमस हर लेती।।1।। विविध विषय के बनकर ज्ञाता।बनकर अपने भाग्य विधाता।।युवा कर्म पथ बढते जाते।अनुसंधान सफल हो पाते।।2।। रोजगार से शिक्षा जुड़ती।मानो गंध स्वर्ण में भरती।।बढे सृजन पथ युवा शक्ति जब।जग मंगल के कार्य सधे तब।।3।। … Read more
अब गरल है जिंदगी
अब गरल है जिंदगी. शौक कहाँ साहेब,तब जरूरतें होती थीं,रुपया बड़ा,आदमी छोटा,पूरी न होने वाली हसरतें होती थीं!मिठाइयों से तब सजते नहीं थे बाज़ार,आये जब कोई,पर्व-त्योहार,पकवानों से महकता घर,भरा होता माँ का प्यार! तब आसमान में जहाज देखआँगन में सब दौड़ आते ,आज हर बच्चा उड़ रहा है,पानी में कागज की नाँव?अचरज कर रहा है! … Read more