हिन्दी की बिंदी में शान
हिन्दी की बिंदी में शान हिन्दी भाषा की बिंदी में शान।तिरंगे के गौरव गाथा की आन।।राजभाषा का ये पाती सम्मान।राष्ट्रभाषा से मेरा भारत महान ।। संस्कृत के मस्तक पर चमके।सिंधी,पंजाबी चुनरी में दमके।।बांग्ला,कोंकणी संग में थिरके।राजस्थानी चूड़ियों में खनके ।। लिपि देवनागरी रखती ध्यान।स्वर व्यंजन में है इसकी शान।।मात्राओं का हमें कराती ज्ञान।शब्द भंडार है … Read more
आज का भारत -आर्द्रा छंद
आज का भारत हवा चली है अब देश में जो विकास गंगा बहती मिली है ।आनंद वर्षा चहुँ ओर होती तरंग से आज कली खिली है ।। गरीब कोई मिलता नहीं है बेरोजगारी अब दूर भागे ।संसाधनों की कमियाँ नहीं है रिकार्ड उत्पादन और आगे ।। बना रहा भारत आशियाना है चाँद की भूमि निहाल … Read more
बसंत बहार
बसंत बहार शरद फुहार जाने लगीबसंती बहार आने लगी !कोयल की कूक गुंजे चहुँ ओरधीरे – धीरे धूप तेज कदम नेंबाग में आम बौराने लगी! शाम ढ़ले चहचहाते पक्षियोंघोसला को लौटने झुंड में,पेड़ों को पत्ते पीला होकरएक – एक कर झड़ने लगी!खेत खलिहान मे पुआलगाय बकरी सुबह शाम तकनिश्चिंत हो चरने लगी! आया बसंत बहारलाया … Read more
भोर का दिनकर
” भोर का दिनकर “ पश्चिम के सूर्य की तरहदुनियाँ भी ….मुझे झूठी लगीमानवता काएक भी पदचिन्हअब तो दिखाई नहीं देताजागती आँखों केसपनों की तरहअन्तःस्थल कीभावनाएँ भीखण्डित होती हैंतब ..जीवन काकोई मधुर गानसुनाई नहीं देताफिर भी ….सफेदपोश चेहरों कोबेनकाब करते हुएएक नई उम्मीद कादमखम भरते हुएसुनहले फसलों कोप्राणदान देते हुएइस विश्वरूपी भुवन की ओरधीमे कदमों … Read more