अब तो मन का रावण मारें

किसी भी राष्ट्र के सर्वतोमुखी विकास के लिए विद्या और शक्ति दोनों देवियों की आराधना और उपासना आवश्यक है। जिस प्रकार विद्या की देवी सरस्वती है, उसी प्रकार शक्ति की देवी दुर्गा है। विजया दशमी दुर्गा देवी की आराधना का पर्व है, जो शक्ति और साहस प्रदान करती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल … Read more

हम तुम दोनों मिल जाएँ

हम तुम दोनों मिल जाएँ मुक्तक (१६मात्रिक) हम-तुम हम तुम मिल नव साज सजाएँ,आओ अपना देश बनाएँ।अधिकारों की होड़ छोड़ दें,कर्तव्यों की होड़ लगाएँ। हम तुम मिलें समाज सुधारें,रीत प्रीत के गीत बघारें।छोड़ कुरीति कुचालें सारी,आओ नया समाज सँवारें। हम तुम मिल नवरस में गाएँ,गीत नए नव पौध लगाएँ।ढहते भले पुराने बरगद,हम तुम मिल नव … Read more

धर्मपत्नी पर कविता

धर्मपत्नी पर कविता ( विधाता छंद, २८ मात्रिक ) हमारे देश में साथी,सदा रिश्ते मचलते है।सहे रिश्ते कभी जाते,कभी रिश्ते छलकते हैं। बहुत मजबूत ये रिश्ते,मगर मजबूर भी देखे।कभी मिल जान देते थे,गमों से चूर भी देखे। करें सम्मान नारी का,करो लोगों न अय्यारी।ठगी जाती हमेशा से,वहीं संसार भर नारी। हमारी धर्म पत्नी को,कहीं गृहिणी … Read more

सुख-दुख की बातें बेमानी

सुख-दुख की बातें बेमानी ( १६ मात्रिक ) मैने तो हर पीड़ा झेली,सुख-दुख की बातें बेमानी। दुख ही मेरा सच्चा साथी,श्वाँस श्वाँस मे रहे संगाती।मै तो केवल दुख ही जानूं,प्रीत रीत मैने कब जानी,सुख-दुख की बातें बेमानी। साथी सुख केवल छलना है,मुझे निरंतर पथ चलना है।बाधाओं से कब रुक पाया,जब जब मैने मन में ठानी,सुख-दुख … Read more

अब तो मेरे गाँव में

village based Poem

अब तो मेरे गाँव में . ( १६,१३ )अमन चैन खुशहाली बढ़ती ,अब तो मेरे गाँव में,हाय हलो गुडनाइट बोले,मोबाइल अब गाँव में। टेढ़ी ,बाँकी टूटी सड़केंधचके खाती कार में,नेता अफसर डाँक्टर आते,अब तो कभी कभार में। पण्चू दादा हुक्का खैंचे,चिलम चले चौपाल मे,गप्पेमारी ताश चौकड़ी,खाँप चले हर हाल में। रम्बू बकरी भेड़ चराता,घटते लुटते … Read more