आदमी और कविता – हरदीप सबरवाल द्वारा रचित आज के कविताओं के विषय पर यथार्थ और करारा व्यंग्य किया गया है।
आदमी और कविता
सिर्फ आदमी ही नहीं बंटे हुए, जाति, धर्म, संप्रदाय या वर्ण में, इन दिनों जन्म लेती कविता भी, ऐसे कई साँचों में , ढल कर निकलती है, यूँ कहने भर को कविता का उद्देश्य था आदमी को सांचों से मुक्त करना, पर आदमी ने कविता को ही अपने जैसे बना दिया…..
है नन्हें पैर मेरे,हौसला अफजाई बढ़ाने को, जाता हूँ स्कूल पढ़ने,इस मन को पढ़ाने को। हूं अडिग,एक नया अध्याय लिखने को, जाता हूं स्कूल शिक्षा-ज्ञान सीखने को। शिक्षा से दूर करूं,मैं अशिक्षा का भ्रम, गढ़ने एक नया अध्याय,स्कूल चलें हम।
शिक्षक का डांट,मुझे एक नई राह दिखाता है, पुस्तक,कॉपी,कलम,मुझे सीखना सिखाता है। कभी अज्ञानता से पग मेरे ना जाएं थम, गढ़ने एक नया अध्याय,स्कूल चलें हम।
सहपाठी का हास्य व्यंग,मेरे मन को भाता है, रोते हुए को हंसाऊं,रूठे को मनाना आता है। बेकार-अनर्गल बातों को करूं मैं हजम, गढ़ने एक नया अध्याय,स्कूल चलें हम।
गुरु शिष्य का रिश्ता दुनिया ने जाना है, मैंने अपने गुरुजनों को सर्वोत्तम माना है। गुरु के ज्ञान से दूर होता है मन का भ्रम। गढ़ने एक नया अध्याय,स्कूल चलें हम,
विद्यालय का करूं मैं पूजा,है ये ज्ञान का मंदिर, कर्मठ विद्यार्थियों का बनता है,यहाँ पर तकदीर। है कितना सुहावना पढ़ाई का ये मौसम, गढ़ने एक नया अध्याय,स्कूल चलें हम।
अपने मन की कुंठा को,हमें भी हराना है, क्या चीज हैं हम,जमाने को ये दिखाना है। कहता है”अकिल”बच्चे हैं मन के सच्चे, उत्तम ज्ञान से बनेंगे ये सब बच्चे-अच्छे। ज्ञान का दीपक जलता रहे यूं ही हरदम, गढ़ने एक नया अध्याय,स्कूल चलें हम। अकिल खान, प्रचारक, सदस्य, कविता बहार रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ.ग.)
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।
कविता की पौष्टिकता – 19.04.21
——————————————————– खाना बनाना बड़ा कठिन काम होता है खाना बनाने के वक्त बहुत सारी बातों का ध्यान रखना पड़ता है एक साथ
कितने चावल में कितना पानी डालना है कौन कौन से मसाले कब कब डालना है चूल्हे में मध्यम, कम या तेज़ आँच कब कब करना है कुकर में बज रहे सीटी का अर्थ कब क्या समझना है ऐसे ही बहुत सारे सवाल खड़े होते रहते हैं
आप लगातार कोशिश करके इतना ठीकठाक खाना बना ही सकते हैं कि खुद खा सको
सतर्कता न होने या लगन की कमी होने पर बर्तन के नीचे से कई कई बार भात चिपक जाता है कई कई बार जल जाती है सब्ज़ी या दाल
किसी ख़ास ट्रेनिंग की मदद से आप ला सकते हैं अपने व्यजंनों में विविधता और बदल या बढ़ा सकते हैं अपने खाने का ज़ायका
लाख हुनर होने के बावजूद अच्छा खाना बनाने के लिए ज़रूरी होता है नियमित अभ्यास
अक़्सर खाने वालों में हंगामे खड़े हो जाते हैं खाने में नमक या मिर्च ज़रूरत से ज़्यादा होने पर
मुझे लगता है जितना कठिन होता है रसोइये के लिए सुस्वादु और पौष्टिक खाना बनाना उससे कहीं ज़्यादा कठिन और जोख़िम भरा होता है कवि के लिए कविता लिखना
कठिन होता है कविता में चुन चुनकर एक एक शब्दों को रखना अर्थों को भावनाओं की आँच पर पकाना पकी पुकाई कविता को बड़ी निष्ठा के साथ लोगों को परोसना और सबसे कठिन होता है कविता में कविता की पौष्टिकता को बनाए रखना।
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।
कविताओं के ज़रिए – नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
दुनियाँ में चिड़िया रहे या न रहे कविताओं में हमेशा सुरक्षित बची रहेंगी चिड़ियाँ पर केवल कविता प्रेमी ही सुन सकेंगे चिड़ियों के गान कविताओं के ज़रिए
दुनियाँ में प्रेम रहे या न रहे कविताओं में हमेशा सुरक्षित बचा रहेगा प्रेम पर केवल कविता प्रेमी ही समझ सकेंगे प्रेम का मर्म कविताओं के ज़रिए
दुनियाँ में उजास रहे या न रहे कविताओं में हमेशा सुरक्षित बचा रहेगा उजास पर केवल कविता प्रेमी ही जी सकेंगे उजास भरी जिंदगी कविताओं के ज़रिए
दुनियाँ में सच रहे या न रहे कविताओं में हमेशा सुरक्षित बचा रहेगा सच पर केवल कविता प्रेमी ही सच को अनावृत कर सकेंगे कविताओं के ज़रिए
दुनियाँ में क्रांति रहे या न रहे कविताओं में हमेशा सुरक्षित बची रहेगी क्रांति पर केवल कविता प्रेमी ही फिर से ला पाएंगे क्रांति कविताओं के ज़रिए
चिड़ियों का कलरव मनुष्यों के लिए प्रेम जीने के लिए उजास बोलने के लिए सच और विरोध के लिए क्रांति कविताओं में सुरक्षित बची रहेगी हमेशा।
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष २१ मार्च को मनाया जाता है। यूनेस्को ने इस दिन को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा वर्ष 1999 में की थी जिसका उद्देश्य को कवियों और कविता की सृजनात्मक महिमा को सम्मान देने के लिए था।
कविता गुण की खान है
कविता गुण की खान है , दिव्य सृजन संसार । नवरस को है धारती , कवि मन रसिक अपार ।।
लिखना कविता रोज ही , हो लेखन विस्तार । पढ़कर पाठक मुग्ध हो , करे ज्ञान संचार ।।
विषय भाव अनुरूप ही , लिखना सदा प्रगीत । शिल्प कला से गढ़ चलो , बने काव्य जग प्रीत ।।
कविता के संसार में , नकली कवि भरमार । कविता की चोरी करे , उनके घट छल द्वार ।।
शब्द – शब्द को गूँथ लो , पुष्प लगे सम हार । कहे रमा ये सर्वदा , सृजन धर्म जग सार ।।