मेघ पर दोहे – डॉ एन के सेठी

यह दोहा एनके सेठी द्वारा बादल को आधार मान कर लिखी गई हैं

प्रकृति का इंसाफ- मोहम्मद अलीम

प्रकृति का इंसाफ 1.उदयाचल से अस्ताचल तक,कैसी ये वीरानी है |उत्तर से दक्षिण तक देखो ,मानव माथ पर परेशानी है || 2. पूरब से चली दनुज पुरवाई ,मानव मानव का नाशक बनकर |खड़ा है द्वारे एक विषाणुसृष्टि में नर पिशाचक बनकर || 3.चीन वुहान का एक विषाणु ,संक्रामक संक्रमण फैलाया है |विश्व स्वास्थ्य संगठन में … Read more

पृथ्वी दिवस विशेष : ये धरा अपनी जन्नत है

ये धरा अपनी जन्नत है ये धरा,अपनी जन्नत है।यहाँ प्रेम,शांति,मोहब्बत है। ईश्वर से प्रदत्त , है ये जीवन।बन माली बना दें,भू को उपवन।हमें करना अब धरती का देखभाल।वरना पीढ़ी हमारी,हो जायेगी कंगाल।सब स्वस्थ रहें,सब मस्त रहें।यही “मनी” की हसरत है॥1॥ ये धरा …… चलो कम करें,प्लास्टिक का थैला।उठालें झाड़ु हाथों में,दुर करें मैला।नये पौधे लगायें, … Read more