मेघ पर दोहे – डॉ एन के सेठी
यह दोहा एनके सेठी द्वारा बादल को आधार मान कर लिखी गई हैं
22 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस (22 April World Earth Day)
इसी दिन 1970 को आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत हुयी थी. दुनिया भर में प्राकृतिक संसाधनों का आवश्यकता से अधिक दोहन किया जा रहा है, जिसकी वजह से दुनिया खतरें में आ गई है. प्रकृति के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिन मनाया जाता है.
यह दोहा एनके सेठी द्वारा बादल को आधार मान कर लिखी गई हैं
प्रकृति का इंसाफ 1.उदयाचल से अस्ताचल तक,कैसी ये वीरानी है |उत्तर से दक्षिण तक देखो ,मानव माथ पर परेशानी है || 2. पूरब से चली दनुज पुरवाई ,मानव मानव का नाशक बनकर |खड़ा है द्वारे एक विषाणुसृष्टि में नर पिशाचक बनकर || 3.चीन वुहान का एक विषाणु ,संक्रामक संक्रमण फैलाया है |विश्व स्वास्थ्य संगठन में … Read more
ये धरा अपनी जन्नत है ये धरा,अपनी जन्नत है।यहाँ प्रेम,शांति,मोहब्बत है। ईश्वर से प्रदत्त , है ये जीवन।बन माली बना दें,भू को उपवन।हमें करना अब धरती का देखभाल।वरना पीढ़ी हमारी,हो जायेगी कंगाल।सब स्वस्थ रहें,सब मस्त रहें।यही “मनी” की हसरत है॥1॥ ये धरा …… चलो कम करें,प्लास्टिक का थैला।उठालें झाड़ु हाथों में,दुर करें मैला।नये पौधे लगायें, … Read more