माँ दुर्गा पर कविता -बाबूराम सिंह

jai durga maa

दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवी, शक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं। शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। माँ दुर्गा पर कविता -बाबुराम सिंह नित चरणों में रहे श्रध्दाभाव वर दो भक्ति अनन्य हो। मातेश्वरी तूं धन्य हो।।अज-जग में … Read more

मित्र और मित्रता पर कविता – बाबूराम सिंह

मित्र और मित्रता पर कविता हो दया धर्म जब मित्र में,सुमित्र उसको मानिए।ना मैल हो मन में कभी, कर्मों को नित छानिए।आदर सेवा दे मित्र को,प्यार भी दिल से करो।दुखडा उस पर कभी पड़े, दुःख जाकर के हरो।मित्रों से नाता कभी भी ,भूल कर तोड़ों नहीं। पथ बिचमें निज स्वार्थवश,ज्ञातरख छोड़ी नहीं। भाव रख उत्तम … Read more

रामधारी सिंह दिनकर/ बाबूराम सिंह

रामधारी सिंह दिनकर जी तेईस सितम्बर  सरस,सन उन्नीस सौ आठ।बालक एक जन्म लिया,शुभ सेमरिया घाट।। बेगु   सराय  बिहार  में ,  है  सेमरिया   घाट।होनहार बालक हुआ,मिला न जिनका काट।। मन में ज्ञानालोक ले ,सुख-दुख सह आघात।नाम रामधारी  पड़ा ,हुआ  जगत विख्यात।। महा  धर्मज्ञ   मर्मज्ञ   थे , राह  प्रदर्शक  नेक। सुकवि हृदय विशाल रहे,लख लाखों में एक।। … Read more

मानवता पर ग़ज़ल – बाबूराम सिंह

मानवता पर ग़ज़ल तपस्या तपमें गल कर देखो।सत्य धर्म पर चल कर देखो।। प्रभु भक्ति शुभ नेकी दान में,अपना रूख बदलकर देखो। दीन-दुखीअबला-अनाथ की,पीड़ा बीच पिघल  कर  देखो। सेवा समर्पण  शुभ  कर्मों  में,शुचि संगत में ढ़ल कर देखो। त्याग  संतोष होश रखो जग,सचमें सदा मचल कर देखो। करूणा  दया  हया  मध्य रह,पग-पग नित संभलकर देखो। … Read more

तन की माया पर कविता – बाबूराम सिंह

गजल तन की माया पर कविता तनआदमी का जग मेंअनमोल रतन है। बन जायेअति उत्तम बिगड़ा तो पतन है। सौभाग्य से है पाया जाने कब मिले,नर योनी में हीं कटता आवागमन है। सेवा, तपस्या ,त्याग मध्य ही राग अनुपम,शुभ गुणआचरणको जगत करता नमन है। सच्चाई अच्छाई से सुफल इसे बना लो,आखिर साथ जाता सिर्फ तनपै … Read more