Tag: बाबूराम सिंह की कविता हिंदी में

  • नशा नर्क का द्वार है – बाबूराम सिंह

    drugs

    हिंदी कविता – नशा नर्क का द्वार है

    मानव आहार के विरूध्द मांसाहार सुरा,
    बिडी़ ,सिगरेट, सुर्ती नशा सब बेकार है।
    नहीं प्राणवान है महान मानव योनि में वो,
    जिसको लोभ ,काम,कृपणता से प्यार है।

    अवगुण का खान इन्सान बने नाहक में,
    बिडी़, सुर्ती,सुरा नशा जिसका आहार है।
    सर्व प्रगति का गति अवरोध करे,
    ऐसा जहर बिडी़ , सुर्ति मांसाहार है।

    धन बल नाश करे जीवन उदास करें,
    अनेकानेक बिमारी लाता शराब है।
    दम्मा अटैक खाँसी सुर्ति सिगरेट देत,
    नशा कोई भी जग में अतिशय खराब है।

    अंतः से जाग मानव तत्काल त्याग इसे,
    मिट जाता जीवन का सारा आबताब है।
    सब हो जाता बेकार तन घर परिवार,
    मानव जीवन जग खुली किताब है।

    काम , क्रोध , लोभ ,मोह ,हैं दास इसका,
    कौल है कराल काल अवगुण हजार है।
    सर्व के विकास ,मूल महिला का नाश करें,
    देव अधोगति यही नरक का द्वार है।

    धीक धीक धीक लीकताज्य बिडी़ सिगरेट,
    यही तो जीवन का प्रथम सुधार है।
    कवि बाबूराम ना मानव अमानव बन,
    बिगड़त अनमोल मानव योनिका श्रृंगार है।
    “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
    बाबूराम सिंह कवि
    बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
    गोपालगंज(बिहार)841508
    मो०नं० – 9572105032

    “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””

  • जय जय हनुमान पर कविता हिंदी में – बाबूराम सिंह

    जय जय हनुमान पर कविता

    hanuman hindi poem
    हिंदी हनुमान जी पर कविता

    जय भक्त शिरोमणि शरणागत जय हो कृपानिधान।
    जयबजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय जय हनुमान।।

    जय आनंद कंदन केशरी नंदन जग वंदन शुभकारी।
    जय मद खलगंजन असुरनिकंदन भवभंजन भयहारी।
    जय जयजनपालक द्रुतगतिचालक सुचिमय फलहारी।
    जय श्रीहरि धावन प्रभु गुणगावन पावन प्रेम पुजारी।

    जय अंजनी लाला शुभ योग निराला जय महिमान।
    जय बजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय-जय हनुमान।

    जय संकट मोचन विभुलोचन जयमनमोहक मधुरारी।
    जय कौतुककारक शोकनिवारक जय उत्तमब्रह्मचारी।
    जय हनुमत बाला सूक्ष्म बिशाला सुर संतन हितकारी।
    जय सुरसा उध्दारक शुचि तारक वानरजूथ बलकारी।

    लंका जारक अक्षय मारक जय हे अतुलित बलवान।
    जय बजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय-जय हनुमान।

    जय पथ प्रदर्शक बल बर्द्धक जय जय करुणा सागर।
    जय भाग्यविधाता श्रेष्ठ ज्ञान ज्ञाता दाता में अतिनागर।
    जय विकटानन मर्दि दशानन पटक दियो जस गागर।
    जय भक्ति प्रपति शरणागति दाता हरि सेवा में आगर।

    महिसागर कानन विजयानन देहु चरणमें भक्तिदान।
    जय बजरंगी रामदूत जय पवनपुत्र जय जय हनुमान।

    —————————————————————-
    बाबूराम सिंह कवि
    बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
    गोपालगंज(बिहार)841508

    मो०नं० – 9572105032
    ———————————————–

  • साक्षरता अभियान – बाबूराम सिंह

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    विश्व साक्षरता दिवस की हार्दिक मंगल शुभ कामनायें



    साक्षरता अभियान
    —————————–
    साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगायें।
    जन-जन साक्षर भव्य बनायें,ज्ञान ज्योति फैलायें।

    बिना विद्या नर बैल समाना ,कहता है जग सारा।
    मिटे नहीं विद्या बिन कभीभी,मानव मनअँधियारा।
    तम अंधकार तिमिर सभी मिल,आओ दूर भगायें।
    साक्षरता अभियान चलायें ,घर-घर अलख जगायें।

    विद्या धन ऐसा है जगत में,बाँट न सकता कोई।
    बिन विद्याअग-जग में किसीका,भला कभी न होई।
    जन मानस आलोकित होवें ,ऐसा यत्न रचायें।
    साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगायें।

    भेद कभी बेटा – बेटी में , करे नहीं जग सारा।
    सभी हो साक्षर पढ़े -लिखे, हो यह सबका नारा।
    बढ़े प्रगति के पथ पर आगे ,सबको यह बतलायें।
    साक्षरता अभियान चलायें,घर-घर अलख जगाये।

    मानव प्रगति का इतिहास है, सहयोग आपस का।
    बिना एकता दृढ़ हो जाना,नहीं किसी के बस का।
    एकमत हो सब समझे बुझे,इसको सफल बनायें।
    साक्षरता अभियान चलायें ,घर-घर अलख जगाये।

    साक्षर जब जन-जन होगा तब ,फैलेगा उजियारा।
    जागृत होगा भव्य ज्ञान से ,भारत वर्ष हमारा।
    जन मानस मध्य ज्ञानालोक, सदा सरस फैलायें।
    साक्षरता अभियान चलायें ,घर-घर अलख जगाये।

    ————————————————————
    बाबूराम सिंह कवि
    बडका खुटहाँ, विजयीपुर
    गोपालगंज(बिहार)841508
    मो॰ नं॰ – 9572105032
    ———————————————————-

  • वीर जवानों तुझे सलाम – बाबूराम सिंह

    शहीदों पर कविता
    शहीदों पर कविता

    वीर जवानों तुझे सलाम

    आन – बान और शान देश की नही रुकने देते।
    वन्दे मातरम गान तिरंगा झंडा़ नहीं झुकने देते ।
    देश हित में फूलते-फरते करते सदा देशका नाम।
    देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझेसलाम।

    बुरे नियत वालों को नाकों चना चबवा देते।
    दुश्मनों को धूल चटा छण भर में छक्का छुडा़ देते।
    राष्ट्र रोग को सदा ही हरते रहते शुबहो – शाम।
    देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझे सलाम।

    सभ्यता संस्कृति अखंड़ता सदा बचा करके।
    हो जाते शहीद हँसकर विष भी पी मुस्का करके।
    माँ भारतीका वंदन करते कभी नहींकरते विश्राम।
    देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझेसलाम।

    शत नमन वंदन अभिनंदन है वीर जवानों को।
    मिटने देते कभी नहीं भारत भव्य अरमानों को ।
    जोश उत्साह जतन मेंभरते कभी नहीं होते हो बाम।
    देशकी खातीर जीते मरते वीर जवानों तुझे सलाम।

    विश्व गुरू गरिमा अछुण्ण बनाते नहीं खोने देते।
    बाबूराम कवि छवि देश की धूमिल नहीं होने देते।
    अटल दृढ़ पथ से नहीं हटते देश ही तेरा चारों धाम।
    देशकी खातिर जीते मरते वीर जवानों तुझे सलाम।

    “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
    बाबूराम सिंह कवि
    ग्राम-खुटहाँ पोस्ट-विजयीपुर
    जिला-गोपालगंज (बिहार)841508
    Babumsing [email protected]

    “”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””

  • स्वच्छता अभियान चाहिए

    कविता संग्रह
    कविता संग्रह

    स्वच्छता अभियान चाहिए

    दया-धर्म करुणामय पावनअधरोंपर मुस्कान चाहिए।
    अनमोल मानव जीवनमें स्वच्छता अभियान चाहिए।

    परमार्थ परहित पुरुषार्थ क्षमा शीलता दान चाहिए।
    स्वच्छता से नेक कमाई भोजन वस्त्र मकान चाहिए।

    देशधर्म सत्कर्म सुपावन प्रगतिपथ कल्यान चाहिए।
    नेकी भलाई पुण्य में भी स्वच्छता अभियान चाहिए।

    बन्धुत्व एकत्व समत्व का निज अंतः में भान चाहिए।
    हरि दिखे हर-हर में हरदम ऐसा सुमिरन ज्ञान चाहिए।

    निज अंतः निर्मल कर सत्य-असत्य पहचान चाहिए।
    सत्कर्मों में सहज भावसे स्वच्छता अभियान चाहिए।

    आत्म संयम संतोष सत्यनिष्ठा सत्संग वितान चाहिए।
    प्रेम श्रध्दा विश्वासपूर्ण स्वच्छता अभियान चाहिए।

    जीवन नाम चलने का आलोक अभय रुझान चाहिए।
    देश सुरक्षा में भी सर्वदा स्वच्छता अभियान चाहिए।

    प्रकृति आत्मा परमात्मा ज्ञान भी लेना जान चाहिए।
    स्वच्छता जाने कोई कैसे नित नूतन उत्थान चाहिए।

    राष्ट्रहित में मर मिटने को स्वच्छ लगन ईमान चाहिए।
    मात-पिता गुरुजन सेवामें स्वच्छता अभियान चाहिए।

    भारत की आत्मा है हिन्दी ,हिन्दी हर जुबान चाहिए।
    स्वच्छता हेतु”बाबूराम कवि”मानवधर्म महान चाहिए।

    “”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
    बाबूराम सिंह कवि
    बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
    गोपालगंज(बिहार)841508
    मो0नं0 – 9572105032

    “””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””