दरूहा सरकार पर कविता/ बिसेन कुमार यादव’बिसु’

दरूहा सरकार। कोन किथे निपोर मन,इहा राम राज्य आवत हे।राम राज्य नई मोर भाई,दरुहा राज्य बनावत हे छत्तीसगढ़ के मनखे मन ला,अऊ दारू पिये बर सिखावत हे।सरकार हा खुदे जनता मन ला, मनपसंद दारू पियावत हे। सरकार हा मोबाइल फोन म ‘मनपसंद’ दारू एप खोले हे जी।ता दरूहा मन काहथे साय ला,हमला बने सरकार मिले … Read more

शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता

यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा घनघोरगिरी शबनमी ओस की बूंदेबदन में होने लगीअविरत ठिठुरन ओझल हुई आंखों सेलालिमा सूर्य कीदुपहरी तक भी दुर्लभहो रही प्रथम किरण इठलाती बलखातीबर्फ के फाहे बरसातीशीत ऋतु … Read more

आओ मेरे श्याम -बिसेन कुमार यादव ‘बिसु’

shri Krishna

आओ मेरे श्याम -बिसेन कुमार यादव ‘बिसु’ जन्माष्टमी महोत्सव पर कविता गोपियों के संग रास रचैया तुम हो मेरे किशन कन्हैया।तेरे आराधक तुम्हें बुला रही है,चले आओ मेरे साॅंवरिया।। मीरा के प्रभु गिरधर नागर।राधा के तुम हो मुरलीधर।। मेरे लिए तो तुम श्रीराम हो।और तुम ही मेरे घनश्याम हो।। इस प्यासी नयन की प्यास बुझाने … Read more

संगीत और जीवन -बिसेन कुमार यादव’बिसु

आना है, और चलें जाना है!जीवन का रीत पुराना है!! जीवन का नहीं ठिकाना है!जन्म लिया तो मर जाना है!! गाना है और बजना है!जीवन एक तराना है!! संगीत को मीत बनाओ!शब्दों को गीत बनाओ!! सा,रे,गा,मा,पा,धा नि,से,जीवन में राग बना! और दो दिलों के मेल सेअमर प्रेम अनुराग बना!! संगीत के सात स्वरों से, मधुर-मधुर … Read more

क्यों काट रहे हो जंगल -बिसेन कुमार यादव’बिसु’ (वन बचाओ आधारित कविता)

क्यों काट रहे हो जंगल (वन बचाओ आधारित कविता) क्यों कर रहे हो अहित अमंगल!क्यों काट रहे हो तुम जंगल!! धरती की हरियाली को तूने लूटा!बताओ कितने जंगल को तूने काटा!! वनों में अब न गुलमोहर न गूलर खड़ी है!हरी-भरी धरती हमारी बंजर पड़ी है!! अगर ये जंगल नहीं रहा तो, कजरी की गीत कहां … Read more