हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश ‘ की कवितायेँ
प्रस्तुत कविता 14 सितंबर हिंदी दिवस पर लिखी गई है जिसमें हिंदी की महत्व का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत कविता 14 सितंबर हिंदी दिवस पर लिखी गई है जिसमें हिंदी की महत्व का वर्णन किया गया है।
कोरोना पर कविता कोरोना फिरि फैलि रहो है, बाने देखौ केते मारेकाम नाय कछु होय फिरउ तौ, निकरंगे घरि से बहिरारे। मुँह पै कपड़ा नाय लगाबैं, केते होंय रोड पै ठाड़ेबखरिन मै मन नाय लगत है, घरि से निकरे काम…
रचना शीर्षक - कोरोना v.s ज़िंदगी
कपटी करोना जीव के काल होगे
कोरोना महामारी पर आधारित रचना - कैसी ये महामारी
ऐसा साल ना देना दुबारा गुजरा हुआ ये सालकर गया सबको बेहाल। ना कोई जश्न ना कोई त्योहारबस घर की वो चार दीवार। कभी लिविंग रूम तो कभी बेडरूमयही थी दुनिया और यही थे सब। कभी हाफ पैंट, तो कभी…
कोरोना के कहर से कोई न अछूता है कोरोना के कहर से कोई न अछूता है ,किसी का ऑक्सीजन बिना दम घूंटा ,तो कोइ घूंट घूंट कर जीता है । इस बीमारी ने न जाति देखा न धर्म न समुदाय…
फिर से लौट आएगी खूबसूरत दुनियां पिछले कुछ दिनों सेमैंने नहीं देखा है रोशनी वाला सूरजताज़गी वाली हवाखुला आसमानखिले हुए फूलहँसते-खिलखिलाते लोग एक-एक दिनदेह में होने का ख़ैर मनाती आ रही हैदेह के किसी कोने मेंडरी-सहमी एक आत्मा किसी भी…
कोरोना से बचना है -शिवांशी यादव कोरोना से बचना है, हमें सुरक्षित ही रहना है|सबसे दूरी बनाए रखना है, अभी घर से नहीं निकलना है| अपने लिए नहीं तो,अपनों के लिए सोचिए।जब भी घर से निकलिएमास्क लगा के ही रहिए।…
कोरोना महामारी का कहर -अमिता गुप्ता कोरोना महामारी ने कैसा ये कहर बरसाया है,चहुंओर अंधेरा ही छाया है! कितने कुलदीपक बुझ ही गए,कितने परिवार यूं उजड़ गए,गर नहीं सचेते अब भी तो, उठ सकता सिर से साया है,चहुं ओर अंधेरा…