हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश ‘ की कवितायेँ

प्रस्तुत कविता 14 सितंबर हिंदी दिवस पर लिखी गई है जिसमें हिंदी की महत्व का वर्णन किया गया है।

जन-जन के प्रिय राम / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’

Jai Sri Ram kavitabahar

 उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग किया जन-जन के प्रिय राम / हरिश्चन्द्र त्रिपाठी ‘हरीश’ नित सुबह, दोपहर,शाम,तुम्हें ध्याऊॅ आठों याम।हे जन-जन के प्रिय राम-स्वीकारो मेरा प्रणाम।टेक। क्षिति-जल-अम्बर तुम ही तुम हो,सृष्टि-अनश्वर तुम ही तुम हो,तुमसे ही गतिमान धरा है-सौम्य,भयंकर तुम ही … Read more

कभी न तोड़ो कच्चे फल

कभी न तोड़ो कच्चे फल बात पते की सुन लो मेरी,फल खाना है बहुत जरूरी।1। सुन्दर ,स्वस्थ,निरोग रहें हम,सारे सुख का भोग करें हम।2। आम,सन्तरा,काजू खाओ,बाबू,भोले,राजू आओ।3। प्रोटीन,विटामिन सब पाये,अनन्नास,अंगूर जो खाये ।4। कुछ मौसम कुछ बारहमासी,रखे,कटे मत खाओ बासी।5। जामुन,सेब,पपीता खाओ,पास डॉक्टर के मत जाओ।6। खरबूजा,तरबूज,अनार ,खा अमरूद न हो बीमार।7। बच्चों सुन लो … Read more

नववर्ष पर हिंदी कविता

happy new Year

इस वर्ष नववर्ष पर कविता बहार द्वारा निम्न हिंदी कविता संकलित की गयी हैं आपको कौन सा अच्छा लगा कमेंट कर जरुर बताएं नववर्ष पर हिंदी कविता : महदीप जँघेल निशिदिन सुख शांति की उषा हो,न शत्रुता, न ही हो लड़ाई।प्रेम दया करुणा का सदभाव रहे,सबको नववर्ष की हार्दिक बधाई। विश्व बंधुत्व की भावना हो … Read more