Hindi Poem on Magh Basant Panchami
लौट आओ बसंत
लौट आओ बसंत न खिले फूल न मंडराई तितलियाँन बौराए आम न मंडराए भौंरेन दिखे सरसों पर पीले फूलआख़िर बसंत आया कब..? पूछने पर कहते हैं–आकर चला गया बसंत !मेरे मन में रह जाते हैं कुछ सवालकब आया और कब चला गया बसंत ?कितने दिन तक रहा बसंत ?दिखने में कैसा था वह बसंत ? … Read more
विरह पर दोहे -बाबू लाल शर्मा
विरह पर दोहे सूरज उत्तर पथ चले,शीत कोप हो अंत।पात पके पीले पड़े, आया मान बसंत।। फसल सुनहरी हो रही, उपजे कीट अनंत।नव पल्लव सौगात से,स्वागत प्रीत बसंत।। बाट निहारे नित्य ही, अब तो आवै कंत।कोयल सी कूजे निशा,ज्यों ऋतुराज बसंत।। वस्त्र हीन तरुवर खड़े,जैसे तपसी संत।कामदेव सर बींधते,मन मदमस्त बसंत।। मौसम ले अंगड़ाइयाँ,दामिनि गूँजि … Read more
बसंत पंचमी पर कविता
बसंत पंचमी पर कविता मदमस्त चमन अलमस्त पवन मिल रहे हैं देखो, पाकर सूनापन। उड़ता है सौरभ, बिखरता पराग। रंग बिरंगा सजे मनहर ये बाग। लोभी ये मधुकर फूलों पे है नजर गीला कर चाहता निज शुष्क अधर। सजती है धरती निर्मल है आकाश। पंछी का कलरव, अब बसंत पास।