दादा जी पर कविता

दादा जी पर कविता दादा जी के संग में , इस जीवन के ज्ञान ।मेरे सच्चे मित्र सम ,जाते हैं मैदान ।।जाते हैं मैदान ,खेल वो मुझे सिखाते ।प्रेरक गहरी बात , कहानी रोज सुनाते ।।कह ननकी कवि तुच्छ , बताते है मर्यादा ।सबसे ज्यादा वक्त , दिया करते हैं दादा ।। दादा बनकर घूमता … Read more

विघटन पर कविता

विघटन पर कविता विघटन की चलती क्रिया , मत होना हैरान ।नियम सतत् प्रारंभ है , शायद सब अंजान ।।शायद सब अंजान , बदलते  गौर करो तुम ।आज अभी जो प्राप्त , रहे कल होकर ही गुम ।।कह ननकी कवि तुच्छ , चिन्ह रहते हैं उपटन ।कर जाता है काम , समय पर आकर विघटन … Read more

गुरु बिन जीवन व्यर्थ है- मदन सिंह शेखावत ढोढसर

भारत के गुरुकुल, परम्परा के प्रति समर्पित रहे हैं। वशिष्ठ, संदीपनि, धौम्य आदि के गुरुकुलों से राम, कृष्ण, सुदामा जैसे शिष्य देश को मिले। डॉ. राधाकृष्णन जैसे दार्शनिक शिक्षक ने गुरु की गरिमा को तब शीर्षस्थ स्थान सौंपा जब वे भारत जैसे महान् राष्ट्र के राष्ट्रपति बने। उनका जन्म दिवस ही शिक्षक दिवस के रूप … Read more

सावन पर कुंडलियाँ छंद -डॉ एन के सेठी

सावन विषय पर आधारित कुंडलिया
में रचित डॉ एन के सेठी की रचना

स्वार्थी मत बन बावरे काम करो निःस्वार्थ- रामनाथ साहू ननकी के कुंडलियाँ

स्वार्थी मत बन बावरे काम करो निःस्वार्थ स्वार्थी मत बन बावरे , काम करो निःस्वार्थ ।शुद्ध भाव से कीजिए , जीवन में परमार्थ ।।जीवन में परमार्थ , बैरता बंधन खोलो ।बस मीठे शुचि बोल , सदा सबसे तुम बोलो ।।कह ननकी कवि तुच्छ , कर्म बस करो हितार्थी ।परहित की ही सोच , कभी मत … Read more