मैं जीने लगी

Hindi Poem ( KAVITA BAHAR)

मैं जीने लगी वक्त का सरकनाऔर उनके पीछेमेरा दौड़ना  ये खेल निरन्तर   चल रहा हैकहाँ थे औरकहाँ आ गये।   कलेन्डर बदलता रहा   पर मैं यथावतजीने की कोशिशभागंमभाग जिन्दगी    कितना समेटूमैं जीवन रुपी जिल्दसंवारती रही, औरपन्ने बिखरते गये।   एक कहावत सुनीऔर जीवन सुखी हो गयाआप सब भी सुनिएजब दर्द और कड़वी गोलीसहन होने लगे  समझो जीना … Read more

जब होगा महक मिलन

जब होगा महक मिलन मिला किताब में सूखा गलाब,देख फिर  ताजगी सी आई। याद आ गया वो सारा मंजरफिर खुद से खुद ही शरमाई। वो हसीन पल थे खुशियों भरासाज बजा ज्यो रागिनी आई। धड़कने दिल  की हुई बेकाबूगात ने ली फिर से अंगड़ाई। अब जब होगा “महक” मिलनसोंच अंग में सिहरन भर आई।   … Read more

मन की लालसा किसे कहे

मन की लालसा किसे कहे सच कहुं तो कोई लालसा रखी नहींमन की ललक किसी से कही नहीं क्यों कि     जीवन है मुट्ठी में रेत    धीरे धीरे फिसल रहा   खुशियां, हर्ष, गम प्रेम   इसी से मन बहल रहा। बचपन की राहे उबड़ खाबड़,फिर भी आगे बढ़ते रहे,भेद भाव ना बैर मन मेंनिश्छल ही चलते … Read more

शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता

यहाँ पर शीत ऋतु (ठण्ड) पर कविता दिए गये हैं आपको कौन सी अच्छी लगी , नीचे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें शीत ऋतु का आगमन घिरा कोहरा घनघोरगिरी शबनमी ओस की बूंदेबदन में होने लगीअविरत ठिठुरन ओझल हुई आंखों सेलालिमा सूर्य कीदुपहरी तक भी दुर्लभहो रही प्रथम किरण इठलाती बलखातीबर्फ के फाहे बरसातीशीत ऋतु … Read more

भारतीय नौ सेना- मधु गुप्ता “महक”

भारतीय नौ सेना प्रखर ओजस्वी नौजवानों,सुरक्षित है तुमसे वतन।विजयी तिरंगा फहराने वाले,जल सेना तुमको है नमन।विजय तिरंगा…………. प्रहरी सामुद्रिक सीमा के,देश की रक्षा तुमसे है।तोड़ के सारे कुचक्रों को,हर घर की खुशियाँ तुमसे है।जल के वीर जवानों सुन लो,मुस्काता है देश रूपी चमनविजयी तिरंगा…………… सरहद पर रहने वाले वीर,जब जब देश में युद्ध छीड़ी।सागर के … Read more