
नारा भर हांकत हन (व्यंग्य रचना)
एकर सेती भैया हो , जम्मो मनखे मन,ला मिलजुल के,लालच ला दुरीहा के पर्यावरण बचाए बर कुछ करना
पड़ही। लेकिन ये हा केवल मुंह अउ किताब भर मा तिरिया जाथे।
यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर0 महदीप जंघेल के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .
एकर सेती भैया हो , जम्मो मनखे मन,ला मिलजुल के,लालच ला दुरीहा के पर्यावरण बचाए बर कुछ करना
पड़ही। लेकिन ये हा केवल मुंह अउ किताब भर मा तिरिया जाथे।
चंद पैसों के लिए वृक्ष का सौदा न करे। वृक्ष है, तो विश्व है। वृक्ष हमारी माँ के समान है, जो हमे जीवन प्रदान करके सब कुछ अर्पण करती है। अतः पेड़ लगाएं और पर्यावरण बचाएं🌻🌻
वृक्ष की पुकार - कविता, महदीप जंघेल
आप सभी से विनम्र अपील है कि,किसी भ्रांतियों में न पड़े। किसी को न ही डराएं, न किसी को बहकाएं। प्राणरक्षक कोरोना का टीका अवश्य लगवाएं।
यदि डॉक्टर भगवान का रूप है,
तो नर्स भी देवी का रूप है।
जो हर पल मां के समान मरीजों की देखभाल करती है। उनको मेरा सादर प्रणाम
राज्य और देश में अभी कोरोना महामारी फैला हुआ है।
सब लोग परेशान है। कई लोगो की दुनिया उजड़ चुकी है।लोग अपनो को खो चुके है। अतः घर में रहे सुरक्षित रहे।
अपने आत्मविश्वास को मजबूत रखे। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे। हम सभी मिलकर कोरोना को जरूर हराएंगे।
जरूर हारेगा कोरोना।
मजदूर विश्व निर्माता है। संसार में उसके बिना विकास कार्य संभव नहीं है। मजदूर श्रम के पुजारी है। उन्हें मेरा नमन है।
परिवार के बिना इंसान का कोई वजूद नही है।
हर मनुष्य परिवार के लिए ही जीता और मरता है।
परिवार में मिलजुलकर रहने से हर कार्य सरलता से संपन्न हो जाता है।
बुरे वक्त में हमारा धैर्य और आत्मविश्वास हमे संबल प्रदान करती है।
अतः आपातकाल में भी टूटना नही है। वक्त महान होता है।
बुरा वक्त भी गुजर जाएगा,कविता, महदीप जंघेल
कोरोना कइसे भागही – महदीप जंघेल दारू भट्ठी में भीड़ ल देखके,मोला लगथे अकबकासी।कोरोना बेरा मा अइसन हालत ले,लगथे अब्बड़ कलबलासी। बिहनिया ले कतार म ठाढ़ होके,घाम पियास म अइंठत हे,सियनहीन गाय सरी ठाढ़े-ठाढ़े ,हफरत लाहकत हे। धरे पइसा,लपेटे मुहूँ…
ऊर्जा संरक्षण पर कविता – महदीप जंघेल आओ मिलकर ऊर्जा दिवस मनाएँ।ऊर्जा की बचत का महत्व समझाएँ।। टीवी,पंखा,कूलर,बल्ब में ऊर्जा बचाएँ।आवश्यकता हो तभी, इसे उपयोग में लाएँ।। कच्चे तेल,कोयला,गैस की ,मांग निरन्तर बढ़ रही है।अंधाधुंध उपभोग से ,प्राकृतिक संसाधन घट…