बेटी पर कविता / लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’

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बेटी पर कविता / लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’ सुख औ समृद्धि कारी,होती फिर भी बेचारी,क्यों ना जग को ये प्यारी,बेटी अभिमान है।माता का दुलार बेटी,पिता का है प्यार बेटी,खुशी का संसार बेटी,सबका सम्मान है।सूना घर महकाती,चिड़िया सी च-चहाती,“कांत” मन बहलाती,बेटी स्वभिमान है।प्यारा उपहार कोई,बेटी जैसा नही कोई,रिश्ते सब निभाये वोही,बेटी पहचान है ” कुण्डलियाँ “ बेटी स्वाभिमान … Read more

बेटियों पर कविता

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बेटियों पर कविता बेटियों से ही घर में आती खुशियाँ अपार।बेटियों के बिन अधुरा घर संसार।।गृहस्थ कार्यों में वह हाथ बटायें।सभी काज को मंगल कर जाये।।बिन बेटियों के जीवन न आगे बढ़ पाये।अपनों के साथ मिलकर रहना हमें सिखलाये।।घर में खुशी और मन में उमंग लिए।अपनी दुखों को छुपाकर संग संग जिये।।जन्म हुई बेटी की,घर … Read more

बलात्कार पर आक्रोश कविता

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बलात्कार पर आक्रोश कविता तीन बरस की गुड़िया तिल तिल मरके आखिर चली गयी,आज अली के गढ़ में बिटिया राम कृष्ण की छली गयी,नन्हे नन्हे पंख उखाड़े, मज़हब के मक्कारों ने,देखो कैसे ईद मनाई,दो दो रोज़ेदारों ने, कोमल अंग काट कर खाये, कुत्तों ने इफ्तारों में,नोच कुचल कर लाश फेंक दी रमजानी बाज़ारो मेंआस्तीन में … Read more