बेटी पर कविता / लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’
बेटी पर कविता / लक्ष्मीकान्त ‘रुद्रायुष’ सुख औ समृद्धि कारी,होती फिर भी बेचारी,क्यों ना जग को ये प्यारी,बेटी अभिमान है।माता का दुलार बेटी,पिता का है प्यार बेटी,खुशी का संसार बेटी,सबका सम्मान है।सूना घर महकाती,चिड़िया सी च-चहाती,“कांत” मन बहलाती,बेटी स्वभिमान है।प्यारा उपहार कोई,बेटी जैसा नही कोई,रिश्ते सब निभाये वोही,बेटी पहचान है ” कुण्डलियाँ “ बेटी स्वाभिमान … Read more