कर डरेन हम ठुक-ठुक ले
कर डरेन हम ठुक- ठुक ले पुरखा के रोपे रूख राईकर डरेन हम ठुक-ठुक ले.. ……नोहर होगे तेंदू चार बर..जिवरा कईसे करे मुच-मुच ले… ताते तात के जेवन जेवईया ,अब ताते तात हवा खावत हन ..अपन सुवारथ के चक्कर म,रूख राई काट के लावत हन.कटकट- कटकट करत डोंगरी …कर डरेन हम बूच -बूच ले …कर … Read more