दारू विषय पर कविता
दारू विषय पर कविता दारू पिये ल झन जाबे समारूदारू पिये ल झन जाबे,,,,गली-गली जूता खाबे समारू दारू पिये ल झन जाबे ,,,,! नाली म परे,माछी ह झूमेमुँहू तैं फारे,कुकुर ह चूमेअब सुसु बर होगे *उतारू* समारूदारू पिये ल झन जाबे……! पिये ल बइठे,सङ्गी ह लूटेझगरा मताये,धर-धर कूटेबस मंदू ह देवय *हुँकारू* समारूदारू पिये ल … Read more