विश्व प्रदूषित हो रहा /प्रेमचन्द साव “प्रेम”,बसना
विश्व प्रदूषित हो रहा / प्रेमचन्द साव “प्रेम”,बसना विश्व प्रदूषित हो रहा,फैल रहा है रोग।मानव सारे व्यस्त है,करने निज सुख भोग।। प्राणवायु दूषित हुआ,दूषित हर जल बूँद।मानव को चिंता कहाँ ?,बैठा अँखियन मूँद।। ताल तलैया कूप को,मनुज रहे अब पाट।निज स्वारथ के फेर में,वृक्ष रहे हैं काट।। धूल-धुआँ कूड़ा बढ़ा,बढ़ा मनुज का लोभ।फिर जीवन संघर्ष … Read more