गंजापन पर कविता
गंजापन पर कविता मेरा मित्र गंजाथा बहुत हिष्ट पुष्ट और चंगातपती धूप में अकेले खड़ा थाउसका दिमाग़ न जानेकिस आइडिया में पड़ा था?मेरा बदन तो धूप में जल रहा थापर गंजा मित्र धूप में खड़ा होकरअपने सर में सरसो तेल मल रहा था?मैंने कहा-मित्र टकलेहो गया है क्या तू पगलेतेज धूप में खड़े होकरसर क्यों … Read more