Tag: #सुकमोती चौहान ‘रूचि’

यहाँ पर हिन्दी कवि/ कवयित्री आदर० सुकमोती चौहान ‘रूचि’ के हिंदी कविताओं का संकलन किया गया है . आप कविता बहार शब्दों का श्रृंगार हिंदी कविताओं का संग्रह में लेखक के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा किये हैं .

  • चैत्र नवरात्र पर घनाक्षरी

    नवदुर्गा सनातन धर्म में माता दुर्गा अथवा माता पार्वती के नौ रूपों को एक साथ कहा जाता है। इन नवों दुर्गा को पापों की विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परन्तु यह सब एक हैं। माता के नव् रूपों पर कविता बहार की कुछ रचनाये –

    चैत्र नवरात्र पर घनाक्षरी
    विधा – मनहरण घनाक्षरी
    (नववर्ष)

    जब हो मन हर्षित,नव ऊर्जा हो संचित,
    कर्म की मिले प्रेरणा,तभी नववर्ष है।
    दिलों में भाईचारा हो,बेटियों का सम्मान हो,
    छलि न जाए निर्भया, तभी नववर्ष है।
    समाज हो संगठित, संस्कृति हो सुरक्षित,
    निष्पक्षता हो न्याय में, तभी नववर्ष है।
    समानता का हक दो,वृद्धि का अवसर दो,
    मानवता की जीत हो, तभी नववर्ष है।

    चैत्र शुक्ल चैत्र नवरात्रि Chaitra Shukla Chaitra Navratri
    चैत्र शुक्ल चैत्र नवरात्रि Chaitra Shukla Chaitra Navratri

    (कात्यायनी)
    कात्यायन ऋषि की,मनोकामना पूरी की,
    पुत्री बनी भगवती,कहाती कात्यायनी।
    षष्ट रूप कात्यायनी,महिषासुर मर्दिनी,
    धर्म,अर्थ,काम, मोक्ष,शुभ फल दायिनी।
    गौर वर्ण तेज युक्त,हर उपमा से मुक्त,
    जगदम्बा ,दुर्गा,काली,पद्म असि धारिनी।
    कार्य सफल कीजिए,अभय वर दीजिए,
    महेश्वरी आशीष दो,माता सर्व व्यापिनी।


    ( शैलपुत्री)
    नवरात शुरु हुआ शैलपुत्री का पूजन
    जगर मगर जोत जलती भवन में।
    मन में अनुराग ले भक्त करते दर्शन
    फल फूल अरपन करते चरन में।
    हिमालयराज घर माँ शैलपुत्री का जन्म
    मंद मुस्काती सवार वृषभ वहन में।
    हम है अनजान माँ जाने न पूजा विधान
    हम पतित पावन ले लो माँ शरन में।


    (ब्रम्हचारिणी)
    शंकर को पति रूप में पाने के लिए उमा,
    तपस्या में लीन हुई माता ब्रम्हचारिनी।
    जापमाला दायाँ हाथ बायाँ हाथ कमंडल,
    त्याग दी सुख साधन साधिका तपस्विनी।
    छोड़कर जल अन्न शिवजी का नाम जप,
    करती अटल व्रत भक्त भय हारिनी।
    माँ ब्रम्हचारिणी हुई स्व तपस्या में सफल,
    शिवजी प्रसन्न हुए स्वीकारे अर्धांगिनी।

    ma-durga
    मां दुर्गा


    ( चंद्रघंटा)
    मन वांछित फल दे, जो दुख दर्द हर ले,
    दुर्गा का तृतीय रूप,चंद्रघंटा हमारी।
    जय जय चंद्रघंटा,रण में बजाती डंका,
    अपार शक्ति की देवी,शिवशंकर प्यारी।
    चंद्र सुशोभित भाल, दस भुज है विशाल,
    त्रिलोक में विचरती,वनराज सवारी।
    नवरात्रि है विशेष,पंचामृत अभिषेक,
    धूप दीप ले आरती,भक्ति करें तुम्हारी।


    ( कुष्माण्डा)
    सूर्य मंडल में बसी,अलौकिक कांति भरी,
    शक्ति पूँज माँ कुष्माण्डा,तम हर लीजिए।
    अण्ड रूप में ब्रम्हाण्ड,सृजन कर अखण्ड,
    जग जननी कुष्माण्डा,प्राण दान दीजिए।
    दुष्ट खल संहारिनी,अमृत घट स्वामिनी,
    आरोग्य प्रदान कर, रुग्ण दूर कीजिए।
    शंख चक्र पद्म गदा,स्नेह बरसाती सदा,
    सृष्टि दात्री माता रानी,ईच्छा पूर्ण कीजिए


    (स्कंदमाता)
    सकल ब्रम्हाण्ड की माँ,आज बनी स्कंद की माँ,
    मंगल बेला आयो माँ,बधाई गीत गाऊँ।
    पुत को गोद लेकर,सिंह सवार होकर,
    स्कंदमाता रक्षा कर,श्रीफल मैं चढ़ाऊँ।
    चुड़ी बिंदी महावर,मदार फूल केसर,
    चढ़ा सोलह श्रृंगार,तुझको मैं रिझाऊँ।
    दरबार जो भी आता, नहीं कभी खाली जाता,
    सौभाग्य दायिनी माता, झुक माथ नवाऊँ।


    ( कात्यायनी)
    कात्यायन ऋषि की,मनोकामना पूरी की,
    पुत्री बनी भगवती,कहाती कात्यायनी।
    षष्ट रूप कात्यायनी,महिषासुर मर्दिनी,
    धर्म,अर्थ,काम, मोक्ष,शुभ फल दायिनी।
    गौर वर्ण तेज युक्त,हर उपमा से मुक्त,
    जगदम्बा ,दुर्गा,काली,पद्म असि धारिनी।
    कार्य सफल कीजिए,अभय वर दीजिए,
    महेश्वरी आशीष दो,माता सर्व व्यापिनी।


    ( कालरात्रि)
    भद्रकाली विकराला,स्वरूप महा विशाला,
    गले में विद्युत माला, माँ कालरात्रि नमः।
    केश काल है बिखरी,बाघम्बर में लिपटी,
    रसना रक्तिम लम्बी,माँ भयंकरी नमः।
    शुंभ निशुंभ तारिणी,रक्तबीज संहारिणी,
    ममतामयी त्रिनेत्री, माँ कालजयी नमः।
    कल्याण करने वाली, भय हर लेने वाली,
    शुभफल देने वाली,माँ शुभंकरी नमः।

    आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी माँ दुर्गा पूजा Navami Maa Durga Puja from Ashwin Shukla Pratipada
    आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी माँ दुर्गा पूजा Navami Maa Durga Puja from Ashwin Shukla Pratipada


    ( महागौरी)
    अष्टम स्वरूप माँ की, जय हो महागौरी की,
    शुभ्र धवल रूप है, वृषभ की सवारी।
    चतुर्भुज सोहै अति,माँ देती सात्विक मति,
    डमरू त्रिशूल धारी,खोजते त्रिपुरारी
    षोड्शोपचार पूजा से,श्वेत फूल श्रीफल से,
    मिठाई नैवैद्य चढ़ा, पूजा करें तिहारी।
    जो जन मन से ध्यावै, माँ की कृपा दृष्टि पावै,
    रक्षा करो महा गौरी, हिमराज दुलारी।


    (सिद्धिदात्री)
    नौवीं रूप सिद्धिदात्री, अष्टसिद्धि अधिष्ठात्री,
    नवदिन नवरात,किये माँ उपासना।
    शक्ति रूपी सिद्धिदात्री,नवदुर्गे मोक्षदात्री,
    देव गंधर्व करते,माता तेरी साधना।
    शंख चक्र गदा पद्म,सुखदायी रूप सौम्य,
    कमल में विराजती,सुनो माँ आराधना।
    माँ भगवती देविका,संसार तेरी सेविका,
    मैं मति मंद गंवारी,क्षमा की है याचना।


    ✍ सुकमोती चौहान “रुचि”
    बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.

  • बेटी पर दोहे -सुकमोती चौहान

    बेटी पर दोहे -सुकमोती चौहान

    १.
    बेटी होती लाड़ली,जैसे पुष्पित बाग।
    बिन बेटी के घर लगे, रंग चंग बिन फाग।। २.
    बेटी लक्ष्मी गेह की,अब तो नर लो मान।
    सेवा कर माँ बाप की,बनती कुल की शान।। ३.
    साक्षर होगी बेटियाँ,उन्नत होगा देश
    भर संस्कार समाज में,बदलेंगी परिवेश।। ४.
    बहु भी बेटी होत है,रखो न दूजा भाव
    निज बेटी सा मान दो,लाओ जी बदलाव।। ५.
    बेटी के उपकार का, मानो जी आभार
    बेटी से संसार है,बेटी से परिवार।।

    सुकमोती चौहान रुचि
    बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.

  • माँ कुष्माण्डा पर कविता

    माँ कुष्माण्डा पर कविता

    सूर्य मंडल में बसी,अलौकिक कांति भरी,
    शक्ति पूँज माँ कुष्माण्डा,तम हर लीजिए।
    अण्ड रूप में ब्रम्हाण्ड,सृजन कर अखण्ड,
    जग जननी कुष्माण्डा,प्राण दान दीजिए।
    दुष्ट खल संहारिनी,अमृत घट स्वामिनी,
    आरोग्य प्रदान कर, रुग्ण दूर कीजिए।
    शंख चक्र पद्म गदा,स्नेह बरसाती सदा,
    सृष्टि दात्री माता रानी,ईच्छा पूर्ण कीजिए

    ✍ सुकमोती चौहान “रुचि”
    बिछिया,महासमुन्द,छ.ग.
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • गौरी पर दोहे

    दुर्गा या आदिशक्ति हिन्दुओं की प्रमुख देवी मानी जाती हैं जिन्हें माता, देवीशक्ति, आध्या शक्ति, भगवती, माता रानी, जगत जननी जग्दम्बा, परमेश्वरी, परम सनातनी देवी आदि नामों से भी जाना जाता हैं।शाक्त सम्प्रदाय की वह मुख्य देवी हैं। दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है।

    durgamata

    “गौरी पर दोहे”

    1.शंकर की अर्धान्गिनी, गौरी जी कहलाय
      बैठी शिव के वाम में, जोड़ी परम सुभाय

    1. नव दुर्गा नव रूप की,संसार करे भक्ति
        जग जननी माँ तू उमा,देती सबको शक्ति
    2. कर जोड़ धूप दीप ले,भक्त खड़े है द्वार
        नर नारी पूजन करे,करना माँ उद्धार
    3. माँ महिषासुर मर्दिनी,सिंह पर हो सवार
        अद्भुत महिमा माय की,भक्त करे जयकार
      5.विपत पड़ा जब भूमि पर,ली काली अवतार
          खल दल छल बल नास कर,करे दुष्ट संहार
      ✍ श्रीमती सुकमोती चौहान रुचि
      बिछिया,बसना,महासमुन्द,छ.ग.
      कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
  • गौरैया पर कविता

    गौरैया पर कविता

    तू आई मेरे आँगन में
    अपने नन्हें बच्चे को लेकर
    फूदक फूदक खिला रही थी
    अपना चोंच, चोंच में देकर
    सजग सब खतरों से
    ताकती घुम घुम कर
    नजाकत से चुगती दाना
    आहट पा उड़ जाती फुर्र
    दानों को खत्म होता देख
    मिट्ठी भर अनाज बिखराई
    डरकर क्यों तू चली गई
    जब मैंने सहृदयता दिखलाई
    प्यारी गौरैया तू सीखाती है
    बच्चे को दुनिया की रीत
    संभलकर जीना इस जग में
    जाँच परखकर करना प्रीत.


    ✍ सुकमोती चौहान रुचि
      बिछिया,महासमुन्द,छ.ग