केंवरा यदु मीरा: मन से तृष्णा त्याग
केंवरा यदु मीरा: मन से तृष्णा त्याग मन से तृष्णा त्याग कर,जपे राम का नाम ।हो तृष्णा का जब शमन,मिले मोक्ष का धाम ।। तृष्णा मन से मारिये ,बन जाता है काल।कौरव को ही देख लो, कितना किया बवाल ।। जीने की है चाह बहु,रब चाहे वह होय।तड़प तड़प कर क्या जियें, काहे मनवा रोय।। … Read more