कागा की प्यास

कागा की प्यास कागा पानी चाह में,उड़ते लेकर आस।सूखे हो पोखर सभी,कहाँ बुझे तब प्यास।।कहाँ बुझे तब प्यास,देख मटकी पर जावे।कंकड़ लावे चोंच,खूब धर धर टपकावे।।पानी होवे अल्प,कटे जीवन का धागा।उलट कहानी होय,मौत को पावे कागा।। कौआ मरते देख के,मानव अंतस नोच।घट जाए जल स्रोत जो,खुद के बारे सोच।।खुद के बारे सोच,बाँध नदिया सब भर … Read more

धुआँ घिरा विकराल

धुआँ घिरा विकराल बढ़ा प्रदूषण जोर।इसका कहीं न छोर।।संकट ये अति घोर।मचा चतुर्दिक शोर।।यह भीषण वन-आग।हम सब पर यह दाग।।जाओ मानव जाग।छोड़ो भागमभाग।।मनुज दनुज सम होय।मर्यादा वह खोय।।स्वारथ का बन भृत्य।करे असुर सम कृत्य।।जंगल किए विनष्ट।सहता है जग कष्ट।।प्राणी सकल कराह।भरते दारुण आह।।धुआँ घिरा विकराल।ज्यों उगले विष व्याल।।जकड़ जगत निज दाढ़।विपदा करे प्रगाढ़।।दूषित नीर समीर।जंतु समस्त अधीर।।संकट में अब प्राण।उनको कहीं न त्राण।।प्रकृति-संतुलन ध्वस्त।सकल विश्व अब त्रस्त।।अन्धाधुन्ध विकास।आया जरा न रास।।विपद न यह लघु-काय।शापित जग-समुदाय।।मिलजुल करे उपाय।तब यह टले बलाय।।बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’तिनसुकियाकविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

वृक्ष कोई मत काटे

वृक्ष कोई मत काटे काटे जब हम पेड़ को,कैसे पावे छाँव।कब्र दिखे अपनी धरा,उजड़े उजड़े गाँव।।उजड़े उजड़े गाँव,दूर हरियाली भागे।पर्यावरण खराब,देख मानव कब जागे।।उपवन को मत काट,कमी को हम मिल पाटे।ऑक्सीजन से जान,वृक्ष कोई मत काटे।। देते ठंडक जो हमे,करते औषधि दान।आम बेल फल सेब खा,भावे खूब बगान।।भावे खूब बगान,रबर भी हमको मिलता।चले हवा जब … Read more

विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहे

save tree save earth

विश्व पर्यावरण दिवस पर दोहे सरिता अविरल बह रही, पावन निर्मल धार ।मूक बनी अविचल चले, सहती रहती वार ।। हरी-भरी वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार ।बनी रहे जल शुद्धता, धुलते सकल विकार ।। नदियाँ है संजीवनी, रखलो इनको साफ ।नदियाँ गंदी जो हुई, नहीं करेंगी माफ ।। छतरी है आकाश की, ओजोन बना ताज … Read more

पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा

Save environment

पर्यावरण दूषित हुआ जाग रे मनुज जाग/सुधा शर्मा धानी चुनरी जो पहन,करे हरित श्रृंगार।आज रूप कुरूप हुआ,धरा हुई बेजार।सूना सूना वन हुआ,विटप भये सब ठूंठ।आन पड़ा  संकट विकट,प्रकृति गई है रूठ।। जंगल सभी उजाड़ कर,काट लिए खुद पाँव।पीड़ा में फिर तड़पकर,  ढूंढ रहे हैं छाँव।।अनावृष्टि अतिवृष्टि है,कहीं प्रलय या आग।पर्यावरण दूषित हुआ,जाग रे मनुज जाग।। … Read more