नवजीवन पर कविता
बरवै छंद, चार चरण
मात्रिक अर्धसम छंद
विषम चरण12 मात्रा
सम चरण ,7 मात्रा।
बरवै छंद, चार चरण
मात्रिक अर्धसम छंद
विषम चरण12 मात्रा
सम चरण ,7 मात्रा।
मेरी पलकें नमाज़ी हुई मेरी पलकें नमाज़ी हुई तेरे दीदार सेनूर बरसता है यूँ पाक़ तेरे रुख़सार से ।मुजस्सिम ग़ज़ल हो मेरी, उम्र की ताजमहल काबेयक़ीन हुआ नहीं मैं इश्क़ में ऐतबार से ।गोया कि तुम मेरे हाथ की लकीर हो या रबहाथ होता नहीं तो क्या होता जाँ निसार से ।मसरूफ़ियत में भी हमने … Read more
सूरज का है आमंत्रण अंधेरों से बाहर आओ,सूरज का है आमंत्रण!बिखरो न यादों के संग,बढ़ो,लिए विश्वासी मन!अतीत के पन्नों पर नूतन,गीत गज़ल का करो सृजन!भीगी आंखों को धोकर,भर लो अब तुम नवजीवन!खुशियों को कर दो ‘अर्पण’,जियो औरों की ‘प्रेरणा’बन!! -डॉ. पुष्पा सिंह’प्रेरणा’
प्यार एक दिखावा न कसमें थीं न वादे थेफिर भी अच्छे रिश्ते थेआखों से बातें होती थींकुछ कहते थे न सुनते थेन आना था न जाना थाछत पर छुप कर मिलते थेवो अपनी छत हम अपनी छतबस दूर से देखा करते थेअब कसमें है और वादे हैऔर प्यार एक दिखावा हैआखों से कुछ कहना मुश्किलहोंठ … Read more
प्रीत की रीत चंद्र गगन में आधा हो ,प्रिय से मिलन का वादा हो ,बनता है इक गीत|निस दिन अंखियां बरसी हो ,पिया मिलन को तरसीं होंबढ़ती है तब प्रीत|जब सारी रस्में निभानीं हो,छोटी जिंदगानीं हो,सजती है तब प्रीत की रीत|सपनें देखें संग संग में ,प्यार पले दोनों मन में ,बनते तब वे सच्चे मीत|दिल … Read more