मैं भुंइया अंव
मैं भुंइया अंव बछर- बछर ले पानी पीएव ,मोर कोरा के सुखला भोगेव,रोवत हे तुंहर महतारी ,मोर लइका मन अब तो चेतव,सब के रासा -बासा मोर संग,मैं जग के सिरजइया अंव।मैं भुंइया अंव, मै भुंइया अंव।मोर कोरा मा उपजेव खेलेव,जिनगी के रद्दा ला गढ़ेव।तुंहर बर मैं हाँसेव रोएंवकुटका -कुटका तन ला करेंव।हिरदे मा पीरा ल … Read more