प्रेम पर कविता
प्रेम पर कविता प्रेम बडा ही,पावन जग में,इसके सम, कोई ना दूजा।प्रेमअलौकिक,और समर्पण,प्रेम धर्म,यही प्रेम पूजा।।????प्रेम शक्ति है,प्रेम भक्ति है,कोमल सा,अहसास यही है।प्रेम साधना, प्रेम तपस्या,ईश्वर सम, विश्वास यही है।।????निर्मल निर्झर, प्रेम प्रवाह,सदियों से,ये छलक रहा है।अनात्म से ही,आत्म का योग,समष्टि ही,प्रेम बन रहा है।।????प्रेम निस्सीम,अरुपावन है,जीवन का,अहसासअनोखा।प्रेम विस्तार,नही संकीर्ण,बिना प्रेम, जीवन है धोखा।।????प्रेम निस्वार्थ, … Read more