नारी चेतना पर कविता

नारी चेतना पर कविता ऐ! नारीतू करती है अराधनाउन अराध्यों कीजो हैं तेरे दोषीकिया शोषण सदैवजिन्होंने तेरा समझा तुझेश्रंगार-रस कीविषय-वस्तुनहीं दिया हकसमानता काकिया सदैव भेदभाव गवाह हैं इस सबकेअनेक धर्म-ग्रंथजो चीख-चीख करकरते हैं ब्यानतेरे शोषण की कहानी -विनोद सिल्ला©

मीन सिंधु में दहक रही

मीन सिंधु में दहक रही बड़वानल की लपटों में घिरमीन सिंधु में दहक रही।आग हृदय की कौन बुझाएनदियाँ झीलें धधक रही।। मौन हुई बागों में बुल बुलधुँआ घुली है पुरवाईसन्नाटों के ढोल बजे हैंशोक मनाए शहनाई अमराई में बौर झरे सबबया रुदन मय चहक रही।बड़वानल……………….।। सृष्टा का वरदान बताकरशोषण किया धरोहर काभँवरे ने भी खून … Read more

जल संरक्षण पर कविता

जल संरक्षण पर कविता आओ जल की तलाश करें,जीवों के लिए खास करें ।इसकी महत्ता को पहचानें,जल बचाने की बात करें । आओ नल टोटी को बंद करें,जरूरत तक ही उपयोग करें।जल संरक्षण के बारे में,मिलकर यह संवाद करें। आओ मानव कर्म करें,फल की चिंता न करें ।अपना कर्तव्य चलो निभाएं,जल संरक्षण पर अभियान चलाएं।~~~~~~~~~~~~~~~~~रचनाकार … Read more

कोरोना की मार पर कविता

कोरोना की मार पर कविता गाँव गली सुनसान पड़े हैं।शहर भी तो वीरान पड़े हैं।कोरोना का कहर,आदमी को नाच नचा रहा।हाहाकार मची है दुनिया में,इटली,फ्रांस,ईरान बता रहा।हमारी स्थिति भी कहीं कभी,इटली ईरान सी न हो जाये।पूरी दुनिया हाँ पूरी दुनिया को,ये एकमात्र डर सता रहा।उनकी तुलना में हम भारतकहीं नहीं टिकते हैं।तो अपने लिए हाँ … Read more

नाम पर कविता

नाम पर कविता अक़्सर मुझेमेरे कानों मेंसुनाई दे जाती हैमेरे नाम से पुकारती हुईमेरी दिवंगत माँ की आवाज़और घर के दूसरे कमरे में सो रहेबाबूजी की पुकार माँ की पुकार सुनमहज़ अपना वहम समझकरमौन संतुष्ट हो जाता हूँ पर जब जब बाबूजी केपुकारने की आवाज़ आती हैमेरे कानों में,हड़बड़ाकर चला जाता हूँउनके कमरे मेंऔर पूछता … Read more