तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल :नरेन्द्र कुमार कुलमित्र
तोड़े हुए रंग-बिरंगे फूल टीप-टीप बरसता पानीछतरी ओढ़ेसुबह-सुबह चहलकदमी करतेघर से दूर सड़कों तक जा निकलादेखा–सड़क के किनारेलगे हैं फूलदार पौधे कईपौधों पर निकली हैं कलियाँ कईमग़र कहीं भीदूर-दूर तक पौधों परखिले हुए फूल एक भी नहींसहसा नजरें गईनहाए न धोएफूल चुन रहे पौधों सेमहिला-पुरुष कई-कईवही जो कहलाते आस्तिक जनरखे हुए हैं झिल्ली मेंतोड़े हुए … Read more