अपना प्यारा बीटीआई

यह कविता मैंने अपने साथ पढ़ रहे बी टी आई के दोस्तों के याद में लिखी थी जब हमने सोशल मीडिया में ग्रुप बनाया

केंवरा यदु मीरा: मन से तृष्णा त्याग

केंवरा यदु मीरा: मन से तृष्णा त्याग मन से तृष्णा त्याग कर,जपे राम का नाम ।हो तृष्णा का जब शमन,मिले मोक्ष का धाम ।। तृष्णा मन से मारिये ,बन जाता है काल।कौरव को ही देख लो, कितना किया बवाल ।। जीने की है चाह बहु,रब चाहे वह होय।तड़प तड़प कर क्या जियें, काहे मनवा रोय।। … Read more

एक बात है जो भूलती नहीं

एक बात है जो भूलती नहीं उम्र बढ़ रही है अक्ल नहीं अंकों के फेर में ।फिर भी इन्सान मशगूल है अपनी अंदरुनी उलटफेर में ।वास्तविकता से रूबरू होने का नाम नहीं होता।एक दूसरे को चोट पहुंचाए बिना काम नहीं होता।क्या थे तुम क्या हो गए नए थे तुम पुराने हो गए।होश कब संभलेगा जब … Read more

हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।

हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम।उम्मीदें रखो दिल पर छोड़ो ना लगाम। आंधी आ जाए ,घरोंदे टूट जाए।आंधी थमने दो, जो हुआ रहने दो।फिर से बनाओ अपना मुकाम ।।हर शाम सुबह होने का देती है पैगाम। माथे पे पसीना आकर सुख जाए ।मेहनत ऐसी कि … Read more

एक पेड़ की दो शाखाएं

एक पेड़ की दो शाखाएं एक पेड़ की दो शाखाएं ,एक हरी तो एक सुखी ।एक तनी तो एक झुकी।।ऐसे ही जीवन में दो पहलू हैकोई जश्ने चूर है तो कोई दुखी।।जब तक होठों में प्यास है ।तब तक कोई उदास है ।।खिलते हैं होंठ फिर सेजब प्यास बुझी बुझी ।।ऐसे ही …. जब दुनिया … Read more