चरित्र विषय पर दोहे : राधा तिवारी
चरित्र विषय पर दोहे : राधा तिवारी चिंतन और चरित्र से ,हो जाता उद्धार।नीच कर्म करके मनुज ,कैसे हो व्यापार।। राधे नेक विचार से ,उत्तम बने चरित्र।सदा सत्य को ही रखो ,साथ बनाकर मित्र।। कर चरित्र निर्माण भी ,और काम…
चरित्र विषय पर दोहे : राधा तिवारी चिंतन और चरित्र से ,हो जाता उद्धार।नीच कर्म करके मनुज ,कैसे हो व्यापार।। राधे नेक विचार से ,उत्तम बने चरित्र।सदा सत्य को ही रखो ,साथ बनाकर मित्र।। कर चरित्र निर्माण भी ,और काम…
बेटी कली है फूल है बहार है बेटी, बेटी कली है, फूल है, बहार है,बेटी, बेटी गीत है, संगीत है, सुरों की तार है,बेटी, बेटी धन है, ताकत है, साहस का भंडार है,बेटी, बेटी घर की जन्नत, स्वर्ग का द्वार…
तुम लेखक नहीं नर पिचास हो सिर्फ तुम ही नहींतुम से पूर्व भी थीपूरी जमात भांडों की।जो करते रहे ताथाथैयादरबारों की धुन पर।चाटते रहे पत्तलसियासी दस्तरखान पर।हिलाते रहे दुमसियासी इशारों पर।चंद रियायतों के लिएचंद सम्मान-पत्रों के लिए।करते रहे कत्लजनभावनाओं का।करते…
भारत गर्वित आज पर्व गणतंत्र हमारा धरा हरित नभ श्वेत, सूर्य केसरिया बाना।सज्जित शुभ परिवेश,लगे है सुभग सुहाना।।धरे तिरंगा वेश, प्रकृति सुख स्वर्ग लजाती।पावन भारत देश, सुखद संस्कृति जन भाती।। भारत गर्वित आज,पर्व गणतंत्र हमारा।फहरा ध्वज आकाश,तिरंगा सबसे प्यारा।।केसरिया है…
गणतंत्र गाथा / बाबू लाल शर्मा ” बौहरा ” पुरा कहानी,याद सभी को, मेरे देश जहाँन की।कहें सुने गणतंत्र सु गाथा, अपने देश महान की। सन सत्तावन की गाथाएँ,आजादी हित वीर नमन।रानी झाँसी नाना साहब, ताँत्या से रणधीर नमन। तब…
हिन्द देश के वीर/बलबीर सिंह वर्मा “वागीश” आजादी का पर्व ये, हर्षित सारा देश।छाई खुशियाँ हर तरफ, खिला-खिला परिवेश।।खिला – खिला परिवेश, गीत हर्षित हो गाए।मना रहे गणतंत्र, तिरंगा नभ लहराए।।थे सब वीर महान, जिन्होंने जान लगा दी।आया दिन ये…
आओ मिलकर गणतंत्र सफल बनाएँ कुमार दवे आओ जन-गण-मन को ऊपर उठाएँ,नित नवीन विचारों की शृंखला बनाएँ।हर चेहरे को फिर… वैसा ही महकाएँ,आओ मिलकर गणतंत्र सफल बनाएँ।।1।। त्याग-संयम-सहयोग सदा हो सहचरऐसी संस्कारित आदर्श पीढ़ी बनाएँ।सदा सामर्थ्य जो निज कांधों…
आजा अब परदेशिया आजा अब परदेशिया , तरस रहे हैं नैन ।बाट जोहती हूँ खड़ी , पल भर खोजूँ चैन ।।पल भर खोजूँ चैन , लगे जग सारा सूना ।सावन भादो मास , अश्रु अब बढ़ते दूना ।।कह ननकी कवि…
चित्र मित्र इत्र चरित्र चित्र रचित कपि देखकर, डरती जो सुकुमारि।नव चरित्र वनवास में, रहती जनक दुलारि।। मित्र मिले यदि कर्ण सा, सखा कृष्ण सा साथ।विजित सकल संसार भव, वह चरित्र दे नाथ।। गन्धी चतुर सुजान नर, बेच रहे नित…
विवाह-एक पवित्र बंधन विवाह एक संस्कृति व संस्कार है।विवाह बंधनों का मधुर व्यवहार है।दो पवित्र आत्माओं का होता मिलन।लुटाएँ एक दूजे पर असीम प्यार है।1।सात जन्मों का है ये प्यारा बंधन।वंश बेला बढ़ाने का नाम है जीवन।केवल बंधन नहीं विवाह…