भूट्टे की भड़ास बाल कविता

बाल कविता भूट्टे की भड़ास एक भूट्टा का मूंछ पका था,दूसरे भूट्टे का बाल काला।डंडा पकड़ के दोनों खड़े थे,रखवाली करता था लाला।। शर्म के मारे दोनों ओढ़े थे,हरे रंग का ओढ़नी दुशाला।ठंड के मौसम टपकती ओस,खूब पड भी रहा था पाला।। मारे ठंड के दोनों ही भूट्टे,मांगने लगे चाय का प्याला।चूल्हे की आग से … Read more

नश्वर काया – दूजराम साहू अनन्य

नश्वर काया – दूजराम साहू “अनन्य “ कर स्नान सज संवरकर ,पीहर को निकलते देखा । नूतन वसन किये धारण ,सुमन सना महकते देखा ।कुमकुम चंदन अबीर लगा ,कांधो पर चढ़ते देखा । कम नहीं सोहरत खजाना ,पर खाली हाथ जाते देखा ।गुमान था जिस तन का ,कब्र में उसे जाते देखा । कर जतन … Read more

हसदेव नदी बचाओ अभियान पर कविता- तोषण कुमार चुरेन्द्र “दिनकर “

hasdeo river

हसदेव नदी बचाओ अभियान पर कविता रुख राई अउ जंगल झाड़ीबचालव छत्तीसगढ़ के थाती लकोनों बइरी झन चीर सकयहसदेव के छाती ल किसम किसम दवा बूटीइही जंगल ले मिलत हेचिरइ चिरगुन जग जीव केसुग्घर बगिया खिलत हेझन टोरव पुरखा ले जुड़ेहमर डोर परपाटी लकोनों बइरी झन चीर सकयहसदेव के छाती ल चंद रुपिया खातिरकोख ल … Read more

रसीले आम पर कविता – सन्त राम सलाम

🥭रसीले आम पर कविता🥭 रसीले आम का खट्टा मीठा स्वाद,बिना खाए हुए भी मुंह ललचाता है।गरमी के मौसम में अनेकों फल,फिर भी आम मन को लुभाता है।। वृक्ष राज बरगद हुआ शर्मिंदा,पतझड़ में सारे पत्ते झड़ जाते हैं।आम की ड़ाल पर बैठ के कोयल,फुदक – फुदक के तान सुनाते हैं।। बसन्त ऋतु में बौराते है … Read more

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार उड़ती पतंग जैसी थी जिंदगीसबके जलन की शिकार हो गईजैसे ही बना मैं कटी पतंगमुझे लूटने के लिए मार हो गई सबकी इच्छा पूरी की मैंनेमेरी इच्छा बेकार हो गईकहने को तो आसमान की ऊँचाईयाँ मापी मैंनेचलो मेरी ना सही सबकी इच्छा साकार हो गई ऐसा भी ना था … Read more