आहट पर कविता – विनोद सिल्ला
आहट पर कविता सिंहासन खतरे मेंहो ना होसिंह डरता है हर आहट से आहट भीप्रतीत होती है जलजलाप्रतीत होती है उसे खतरावह लगा देता हैऐड़ी-चोटी का जोरकरता है हर संभव प्रयासआहटों को रोकने का अंदर से डरा हुआताकतवर हो कर भीडरता है बाहर कीहर आहट से मान लेता है शत्रुतमाम अहिंसक व शाकाहारी निरिह जानवरों … Read more