इश्क पर कविता -सुशी सक्सेना
इश्क पर कविता -सुशी सक्सेना इश्क के आगे कलियों की तरूणाई फीकी है।इश्क में तो हर इक शय जी लेती है।इश्क से आसमां की ऊंचाई झुक जाती है।इश्क में नदियों की लहराई भी रुक जाती है।इश्क से सागर भी कम गहरा लगता है।इश्क में सारी दुनिया का पहरा लगता है।इश्क में पत्थर भी पिघल जाता … Read more