इश्क पर कविता -सुशी सक्सेना

इश्क पर कविता -सुशी सक्सेना इश्क के आगे कलियों की तरूणाई फीकी है।इश्क में तो हर इक शय जी लेती है।इश्क से आसमां की ऊंचाई झुक जाती है।इश्क में नदियों की लहराई भी रुक जाती है।इश्क से सागर भी कम गहरा लगता है।इश्क में सारी दुनिया का पहरा लगता है।इश्क में पत्थर भी पिघल जाता … Read more

प्रेम पर कविता – विनोद सिल्ला

प्रेम पर कविता -विनोद सिल्ला गहरा सागर प्रेम का, लाओ गोते खूब।तैरोगे तो भी सही, निश्चित जाना डूब।। भीनी खुशबू प्रेम की, महकाए संसार। पैर जमीं पर कब लगें, करे प्रेम लाचार।। पावन धारा प्रेम की, बहे हृदय के बीच।मन निर्मल करके नहा,व्यर्थ करोमत कीच।। साज बजे जब प्रीत का, झंकृत मन के तार।रोम-रोम में … Read more

लक्ष्य पर ग़ज़ल – सुशी सक्सेना

कांटों भरा हो या फूलों भरा, जारी ये सफ़र रखना,कदम जमीं पर हो, मगर आसमां पर नजर रखना। मुश्किलों भरीं हैं, ये राहें जिंदगी की, ऐ साहिबचैन न मिले तो उलझनों में ही हंसी बसर रखना। खोने न देना होश, कामयाबियां जब कदम चूमेगमों में दिल के टुकड़ों को अपने सभांल कर रखना यूं तो … Read more

लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ मैं

सीमा रक्षा करते,उनको झुककर शीश नवाऊँ। लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ। जान हथेली पर रख, सैनिक सीमा पर डटे हुए। मातृ भूमि रक्षा में,वो सब अपनों से दूर हुए।। मेरी भी इच्छा है,दुश्मन से मैं भी लड़ जाऊँ। लगी आग सरहद पर,कैसे राग बसंती गाऊँ।। फड़के आज भुजाए, नहीं बसंती रंग सुहाता। मां … Read more

माटी की शान वीर नारायण सिंह पर

माटी की शान वीर नारायण सिंह पर

भारत को आजादी पाना इतना नहीं था आसान ।वीरों ने संघर्ष किया और किया अपना बलिदान ।अग्रगण्य हैं उनमें सदा छत्तीसगढ़ के वीर महान।शहीद वीर नारायण सिंह बने इस माटी की शान। भुखमरी का शिकार हो रहे थे ,हमारे प्रांतवासी।कोई नहीं देख सकता ऐसा दृश्य जो हो साहसी।क्रूर माखन का लूटा गोदाम, संकोच ना जरा … Read more